दूसरे विश्व युद्ध के आरम्भ में टेरेसा प्रेकेरोवा किशोर ही थी जब नाज़ी लोगों ने उसके देश पोलैंड पर हमला किए l यह सर्वनाश[holocaust] के आरम्भ में था जब नाज़ी लोग उसके यहूदी पड़ोसियों को गिरफ्तार करने लगे और वे गायब होने लगे l इसलिए टेरेसा और पोलैंड के अन्य नागरिकों ने अपने जीवनों को दाँव पर लगाकर उन पड़ोसियों को वॉरसॉ यहूदी बस्तियों और नाज़ी लोगों के शोधन/क़त्ल[purge] से बचाया l टेरेसा युद्ध और सर्वनाश [holocaust] की प्रमुख इतिहासकार हो सकती थी, किन्तु यह तो उसका साहस ही था जिसके कारण वह उस बुराई की लहरों के विरुद्ध खड़ी रह सकी और जिसने उसे यरुशलेम में याड वशेम होलोकोस्ट मेमोरियल [Yad Vashem Holocaust memorial] में राईचस अमंग द नेशन्स[Righteous Among the Nations] की सूची में पहुँचा दिया l

बुराई के विरुद्ध खड़े रहने के लिए साहस की ज़रूरत है l पौलुस ने इफिसुस की कलीसिया से कहा, “क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध लहू और माँस से नहीं परन्तु प्रधानों से, और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं” (इफिसियों 6:12) l स्पष्ट रूप से यह अदृश्य विरुद्धता हममें से किसी के लिए सहन से बाहर है, इसलिए परमेश्वर ने हमें “शैतान की युक्तियों के सामने खड़े” (पद.11) रहने हेतु सक्षम बनाने के लिए ज़रूरी आत्मिक संसाधन दिए हैं  अर्थात् (परमेश्वर के सारे हथियार) l

उस साहसी कदम में क्या कुछ शामिल हो सकता है? यह अन्याय के विरुद्ध कार्य करना या किसी परिचित निर्बल या शोषित व्यक्ति के पक्ष में खड़े रहकर उसकी मदद करना हो सकता है l चाहे किसी प्रकार का संघर्ष हो, हम साहसी हो सकते हैं-हमारे परमेश्वर ने पहले से ही हमें उसके लिए और बुराई के विरुद्ध खड़े रहने का संसाधन दिया है l