समुद्र तट के निकट रहनेवाली एक सहेली से फोन पर बातचीत करते समय, सामुद्रिक चिड़ियों के चीखने की आवाज़ सुनकर मैंने ख़ुशी दर्शायी l उसका उत्तर था, “वे दुष्ट प्राणी हैं,” क्योंकि उसके लिए वे दैनिक कष्ट हैं l लन्दन निवासी होने के कारण, लोमड़ियों के विषय मेरा विचार भी यही है l मैं उनको आकर्षक जानवर नहीं समझती हूँ किन्तु आवारा फिरनेवाले प्राणी जो सुबह के समय बदबूदार गंदगी छोड़ जाते हैं l
लोमड़ियों का वर्णन पुराने नियम की पुस्तक, श्रेष्ठगीत, की प्रेम कविता में है, जो पति-पत्नी के बीच और कुछ एक टिप्पणीकारों के अनुसार परमेश्वर और उसके लोगों के बीच प्रेम को दर्शाता है l दुल्हन छोटी लोमड़ियों के विषय चेतावनी देते हुए, अपने दूल्हे से उन्हें पकड़ने को कहती है (2:15) l दाख़ के अंगूर के लिए भूखीं लोमड़ियाँ, अंगूर के कोमल बेलों को हानि पहुँचा सकती हैं l अपने भावी वैवाहिक जीवन साथ बिताने की चाह रखते हुए, वह नहीं चाहती कोई बुरा व्यक्ति उनके प्रेम के वाचा में बाधा डाले l
किस तरह “लोमड़ियाँ” परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध को बाधित कर सकती हैं, जब मैं बहुत सारी इच्छाओं में “हाँ” कहती हूँ, मैं असहाय और अरुचिकर हो जाती हूँ l अथवा जब मैं सम्बन्धात्मक झगड़े का हिस्सा होती हूँ, मैं निराशा या क्रोध की परीक्षा में होती हूँ l जब मैं प्रभु से इन “लोमड़ियों” के प्रभाव को सीमित करने के लिए कहती हूँ – जिन्हें मैंने खुले फाटक से आने दिया है या जो छिपकर घुस गई हैं – मैं उसकी उपस्थिति और मार्गदर्शन को महसूस करके, परमेश्वर में भरोसा और प्रेम पाती हूँ l
आपके साथ क्या ऐसा है? आपको परमेश्वर से दूर रखने वाली किसी भी बात में आप किस प्रकार उससे सहायता प्राप्त कर सकते हैं?
परमेश्वर उसके साथ हमारे सम्बन्ध को सुरक्षित रख सकता है l