कलाकार सिग्सिमुंड गोएट्ज ने इंग्लैंड के विक्टोरियन-युग को “Despised and Rejected of Men” नामक एक पेंटिंग के साथ चौंका दिया l उसमें उसने पीड़ित, निन्दित यीशु को गोएट्ज़ के अपने युग के लोगों से घिरा हुआ दिखाया l वे अपने हितों से अत्यधिक बर्बाद हो रहे थे अर्थात् व्यापार, रोमांस, राजनीति – कि वे उद्धारकर्ता के बलिदान के प्रति अंजान थे l यीशु के क्रूस के नीचे की भीड़ की तरह, मसीह के प्रति उदासीन, आस-पास की भीड़, को बोध नहीं था कि उन्होंने क्या और किसे छोड़ दिया है l

हमारे युग में भी, सरलता से विश्वासी और अविश्वासी समान रूप से शाश्वत से विकर्षित हो जाते हैं l यीशु के अनुयायी परमेश्वर के महान प्रेम की सच्चाई के साथ इस धुंध से निकल सकते हैं? हम परमेश्वर के संगी बच्चे परस्पर प्रेम करके आरंभ कर सकते हैं l यीशु ने कहा, “यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो” (यूहन्ना 13:35) l
किन्तु वास्तविक प्रेम वहाँ नहीं रुकता है l हम उद्धारकर्ता की ओर लोगों को आकर्षित करने की आशा से उस प्रेम को सुसमाचार द्वारा साझा करते हैं l जिस प्रकार पौलुस ने लिखा, “हम मसीह के राजदूत हैं” (2 कुरिन्थियों 5:20) l

इस तरह, मसीह की देह परमेश्वर के प्रेम को, जिसकी हमें नितांत आवश्यकता है, परस्पर और अपने संसार के सामने परावर्तित और प्रक्षेपित भी कर सकती है l काश पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से, दोनों ही प्रयास, विकर्षणों से निकलने में सहायता करे, जो यीशु में परमेश्वर के प्रेम का आश्चर्य देखने में बाधित न कर सके l