एक बड़े शैक्षिक प्रोजेक्ट का बोझ मुझ पर था, और मैं उसे तय समय सीमा पर पूरा करने के विषय चिंतित थी l मेरी घबराहट में, उत्साहवर्धन कर रहे तीन सहेलियों के पत्र प्राप्त हुए l हर एक ने लिखा, “मेरी प्रार्थना में परमेश्वर ने मुझे तुम्हारी याद दिलाई l” मैं दीन और उत्साहित की गयी कि इन मित्रों ने मेरी स्थिति को जाने बगैर मुझसे संवाद किया, और मेरा विश्वास था परमेश्वर ने उनको प्रेम के संदेशवाहक के तौर पर उपयोग किया था l
कुरिन्थुस की कलीसिया के विश्वासियों को लिखते हुए प्रेरित पौलुस प्रार्थना की सामर्थ्य से परिचित था l उसने लिखा कि वह आशा करता था कि परमेश्वर उन्हें मृत्यु के संकट से बचाता रहेगा जब “तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे” (2 कुरिन्थियों 1:10-11) l और परमेश्वर द्वारा उनकी प्रार्थना का उत्तर देने के बाद, वह (परमेश्वर) महिमामंडित होगा जब “बहुत से लोगों की प्रार्थनाओं” (पद.11) के उत्तर के लिए लोग धन्यवाद देंगे l
मेरी सहेलियाँ और पौलुस मध्यस्थता की प्रार्थना में लगे हुए थे, जिसे ऑस्वाल्ड चैम्बर्स “एक गुप्त सेवा संबोधित करता है जिससे निकलनेवाला परिणाम पिता को महिमामंडित करता है l” यीशु की ओर अपना मन और हृदय केन्द्रित करते समय, हम उसे हमें आकार देते हुए पाते हैं, जिसमें हमारी प्रार्थना करने का तरीका भी है l वह हमें मित्रों, परिजनों, और अपरिचितों को सच्ची मध्यथता की प्रार्थना का इनाम देने में योग्य बनाता है l
क्या परमेश्वर ने आपके हृदय और मन में किसी को लाया है जिसके लिए आप प्रार्थना कर सकते हैं?