जब मैं कॉलेज में था, मैंने कोलोराडो में एक खेत पर गर्मियों में काम किया l एक शाम, खेत की लवाई करते हुए एक लम्बे दिन के अंत में थका और भूखा, मैंने ट्रैक्टर को यार्ड में घुसेड़ दिया l खुद को तेज़ निशानेबाज़ मानकर, मैंने स्टीयरिंग व्हील को दृढ़ता से बाईं ओर घुमाया, बाईं ब्रेक को दबाया, और ट्रैक्टर मोड़ दिया l
हँसिया नीचे था जिससे निकट रखे 500 गैलन डीजल टैंक के नीचे के पाँव खिसक गए l टैंक बड़ी आवाज़ के साथ धरती पर गिरा, उसके जोड़ खुल गए, और पूरा तेल बह गया l
मैं ट्रैक्टर से उतरा, अस्पष्ट आवाज़ में क्षमा मांगी, और – इसलिए कि मेरे मन में वह पहली बात आयी थी – बिना वेतन के पूरी गर्मी काम करने का प्रस्ताव रखा l
वृद्ध किसान एक पल के लिए उस बर्बादी को देखता रहा और घर की ओर मुड़ा l “चलो चलकर रात्रि भोजन खाते हैं,” उसने कहा l
यीशु की बतायी हुयी कहानी का एक भाग मेरे मन में आया – एक युवा की कहानी जिसने एक बहुत ही ख़राब काम किया था : “पिता, मैंने स्वर्ग और आपके विरुद्ध पाप किया है,” वह चिल्लाया l उसने आगे और बोलने की कोशिश की, ” मुझे अपने एक मजदुर के समान रख लें,” किन्तु अपने मुँह से सम्पूर्ण शब्दों को उच्चारित करने से पहले उसके पिता ने हस्तक्षेप किया l संक्षेप में, उसने कहा, “चलो चलकर रात्रि भोजन खाते हैं” (लूका 15:17-24) l
परमेश्वर का अनुग्रह ऐसा ही है l