मैंने अपना सबसे अकेला क्रिसमस उत्तरी घाना के साकोगु के निकट अपने दादा के छोटे घर में बिताया था l मैं केवल पंद्रह वर्ष का था, और मेरे माता-पिता और भाई-बहन एक हज़ार किलोमीटर दूर थे l बीते वर्षों में, जब मैं उनके साथ और गाँव के मित्रों के साथ था, क्रिसमस हमेशा बड़ा और यादगार होता था l किन्तु यह क्रिसमस शांत और अकेला था l जब मैं सुबह क्रिसमस के दिन अपनी चटाई पर लेता हुआ था, मुझे एक स्थानीय गीत याद आ गया : साल ख़त्म हो गया है, क्रिसमस आ गया है; परमेश्वर का बेटा जन्मा है; शांति और आनंद सब के लिए l शोकाकुल ढंग से मैंने इसे बार बार गाया l

मेरे दादा ने आकर मुझसे पूछे, “यह कैसा गीत है?” मेरे दादा क्रिसमस– या मसीह के विषय नहीं जानते थे l इसलिए क्रिसमस के विषय जितना मैं जानता था उन्हें बता दिया l उन क्षणों ने मेरे अकेलेपन को रोशन कर दिया l

केवल भेंड़ और कभी-कभी परभक्षियों के साथ खेतों में, युवक चरवाहा दाऊद ने अकेलापन अनुभव किया l यह एकमात्र समय नहीं रहा होगा l बाद में उसने अपने जीवन में लिखा, “मैं अकेला और दीन हूँ” (भजन 25:16) l लेकिन दाऊद ने अकेलेपन को निराश करने की अनुमति नहीं दिया l इसके बदले, उसका गीत था : मुझे तेरी ही आशा है” (पद.21) l

समय-समय से हम सब अकेलापन का अनुभव करते हैं l आप क्रिसमस में कहीं भी रहें, अकेले या साथ में, आप मसीह के साथ इस मौसम का आनंद ले सकते हैं l