मेरे एक मित्र को एक अमरीकी मिशनरी जोड़े ने गोद लिया था और उसकी परवरिश घाना में हुयी थी l उसके परिवार के अमरीका लौटने के बाद, उसने कॉलेज की पढ़ाई आरम्भ की किन्तु किसी कारण से उसे छोड़ना पड़ा l बाद में, वह सेना में भर्ती हो गया, जिससे आख़िरकार वह कॉलेज की फीस दे सका और पूरा संसार घूम सका l इस दौरान, परमेश्वर कार्य कर रहा था, और एक विशेष भूमिका के लिए उसे तैयार कर रहा था l आज, वह अंतर्राष्ट्रीय पाठकों के लिए मसीही साहित्य लिखता और सम्पादित करता है l

उसकी पत्नी के जीवन की कहानी भी रुचिकर है l मिर्गी की बीमारी के लिए तेज़ दवाइयां लेने से वह अपने कॉलेज के प्रथम वर्ष में रसायन की परीक्षा में विफल रही l कुछ सावधानीपूर्वक विचारणा के बाद, उसने विज्ञान का अध्ययन छोड़कर अमरीकी संकेत भाषा की पढ़ाई शुरू कर दी जो उसके लिए संभव दिखाई दिया l उस अनुभव पर विचार करते हुए, वह कहती है, “परमेश्वर मेरे जीवन को एक बड़े उद्देश्य की ओर ले जा रहा था l” आज, वह बधिरों तक परमेश्वर का जीवन परिवर्तन करनेवाला वचन पहुंचा रही है l

क्या आपको कभी आश्चर्य होता है कि परमेश्वर आपको कहाँ ले जा रहा है? भजन 139:16 हमारे जीवनों में परमेश्वर के संप्रभु हाथ को स्वीकारता है : “तेरी आँखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब . . . दिन . . . तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे l” हमें नहीं मालूम परमेश्वर हमारे जीवनों की परिस्थितियों का उपयोग किस प्रकार करेगा, किन्तु हम इस ज्ञान में विश्राम पाते हैं कि परमेश्वर हमारे विषय सब कुछ जानता है और हमारे क़दमों को मार्गदर्शित करता है l उसके संप्रभु हाथ छिपे होने के बावजूद, वह सर्वदा उपस्थित है l