मैकेनिक हमारी कार जो स्टार्ट नहीं हो रही थी, के समाधान के लिए बहुत युवा दिखाई दिया l मेरे पति, डैन, ने शक प्रगट करते हुए फुसफुसाया, “वह तो बच्चा है
l” उस युवा में उसका अविश्वास नासरत के कुड़कुड़ाहट की तरह महसूस हो रहा था जहाँ नगरवासियों ने शक किया कि यीशु कौन है l

यीशु द्वारा आराधनालय में शिक्षा देते वक्त उन्होंने पूछा, “क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं?” (मत्ती 13:55) l वे उपहास करते हुए, सुनकर आश्चर्यचकित हुए कि जिसे वे जानते थे वह चंगाई और शिक्षा देता था l उन्होंने पूछा, “इसको यह ज्ञान और सामर्थ्य के काम कहाँ से मिले? (पद.54) l यीशु में भरोसा करने के बजाय, वे उस अधिकार से नाराज थे जो उसने प्रदर्शित किया (पद.15,58) l

इस प्रकार, हम भी विशेषकर अपने दैनिक जीवनों के परिचित और साधारण विवरणों में अपने उद्धारकर्ता की बुद्धि और सामर्थ्य में विश्वास करने में संघर्ष कर सकते हैं l उसकी सहायता की उम्मीद करने में नाकाम रहने के बाद, हम उसके जीवन रूपांतरण करने के आश्चर्य से चूक जा सकते हैं जो हमारे जीवन को बदल सकता है (पद.58) l

जैसे डैन, मेरा पति चाहता था, उसका मदद उसके सामने थी l अंततः उस युवा की सहायता स्वीकार करने के बाद, मेरे पति ने उसे हमारी पुरानी कार की बैटरी देखने दिया l केवल एक बोल्ट बदलने के बाद, मैकेनिक ने कार को कुछ ही क्षणों में स्टार्ट कर दिया- इंजन चालु हो गया और बत्तियां जलने लगीं l “वह तो क्रिसमस की तरह चमक उठा,” डैन बोला l

इसी प्रकार हम भी उम्मीद और अनुभव करते हैं कि मुक्तिदाता ताज़ा प्रकाश, जीवन और हमारे दैनिक यात्रा में अपने साथ मदद लेकर आएगा l