लन्दन में ऑस्वाल्ड चैम्बर्स के बाइबल ट्रेनिंग कॉलेज (1911-15) के वर्षों के दौरान, वे अक्सर अपने व्याख्यानों के मध्य विद्यार्थियों को बातों से चौंका देते थे l एक युवती ने समझाया कि क्योंकि अगले भोजन के समय चर्चा रखी गयी थी, अक्सर चैम्बर पर प्रश्नों और आपत्तियों की बमबारी की जाती थी l उसने याद किया कि ऑस्वाल्ड सरल मुस्कराहट के साथ कहते, “बस इसे अभी छोड़ दें; यह आपके पास बाद में लौटेगा l” उसने उन्हें उन मुद्दों पर सोचने और परमेश्वर को अपनी सच्चाई प्रगट करने की अनुमति देने को कहा l

ध्यान केन्द्रित करना और उसके विषय गहराई से विचार करना ही सोचना है l बैतलहम में यीशु के जन्म की घटनाओं के बाद, स्वर्गदूतों और चावाहों की उपस्थिति के बाद जो  उद्धारकर्ता को देखने आए थे, “मरियम ने सब बातें मन में रखकर सोचती रही” (लूका 2:19) l नया नियम का विद्वान डब्ल्यू. ई. वाइन कहता है कि “सोचने” का अर्थ है “एक साथ फेंक देना, वार्तालाप करना, विचार करने के लिए एक वस्तु को दूसरे के साथ रखना” (Expository Dictionary of New Testament Words) l

जब हम समझने का प्रयास करते हैं कि हमारे जीवनों में क्या हो रहा है, हमारे पास मरियम का अद्भुत उदाहरण है कि परमेश्वर और उसकी बुद्धि को खोजने का क्या अर्थ होता है l

जब हम, उसकी तरह, अपने जीवनों में परमेश्वर का मार्गदर्शन स्वीकार करते हैं, हमारे पास सजोने और अपने मन में विचार करने के लिए उसके प्रेमी मार्गदर्शन की बहुत सी नयी बातें होती हैं l