जब चन्द्रमा ओझल हो गया तो जंगल में स्थित हमारा गाँव गहरे अँधेरे में डूब गयाl आकाश में बिजली कौंध रही थी, और फिर वर्षा के साथ आंधी और तीखी कड़कड़ाहट सुनाई देने लगीl मैं जाग रहा था और भयभीत था, और एक बच्चे के रूप में मेरे दिमाग में कल्पनाएँ आ रही थीं कि मानो हर तरह के भयानक दैत्य जैसे मुझ पर टूट पड़ने के लिए तैयार हैं! लेकिन दिन होते ही, सारी आवाज़ें गायब हो गईं, सूर्य उदय हुआ, और धूप में चहचहाते पंछियों के साथ चारों ओर सबकुछ सामान्य और शांत दिखाई देने लगाl रात के भयभीत करने वाले अन्धकार और दिन की रौशनी के आनन्द के बीच का अंतर असाधारण रूप से तीखा थाl    

इब्रानियों का लेखक उस समय को स्मरण करता है जब इस्रालियों ने सीनै पर्वत पर एक ऐसा अनुभव किया जो इतना अन्धकार भरा और प्रचंड था कि वे भयभीत होकर छिप गए (निर्गमन 20:18-19)l उन्हें परमेश्वर की उपस्थिति अन्धकारपूर्ण और भयभीत करने वाली प्रतीत हुई, भले ही उसने इसे व्यवस्था के अपने प्रेमपूर्ण उपहार के रूप में प्रगट किया थाl ऐसा इसलिए था क्योंकि जो इस्राएली थे वे पापी लोग होने के कारण परमेश्वर के मानदंडों पर खरे नहीं उतर पाए थेl अपने पाप के कारण ही उन्हें अन्धकार और भय में होकर चलना पड़ा (इब्रानियों 12:18-21)l

परन्तु परमेश्वर ज्योति है; उस में कुछ भी अन्धकार नहीं (1 यूहन्ना 1:5)l इब्रानियों 12 में, सीनै पर्वत परमेश्वर की पवित्रता और अनाज्ञाकारिता के हमारे पुराने जीवन को दिखाता है, जबकि सीनै पर्वत की सुन्दरता परमेश्वर के अनुग्रह और यीशु में जोकि “नई वाचा का मध्यस्थ है” (पद 22-24), विश्वासियों के नये जीवन को प्रगट करती हैl

जो कोई यीशु के पीछे हो लेगा वह “कभी अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा” (यूहन्ना 8:12)l उसके माध्यम से हम अपने पुराने जीवन के अन्धकार को त्यागकर ज्योति में चलने और उसके राज्य की सुन्दरता के आनन्द का उत्सव मना सकते हैंl