हर बार जब मैं अपने घर के (निकट) फिटनेस सेंटर जाता हूँ, तो मैं प्रोत्साहित हो जाता हूँ। उस व्यस्त स्थान में मैं उन अन्य लोगों से घिरा होता हूँ, जो अपने शारीरिक स्वास्थ्य और शक्ति को बेहतर बनाने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे होते हैं। वहाँ लगे हुए पोस्टर हमें एक-दूसरे को न जाँचना स्मरण कराते रहते हैं, परन्तु उन शब्दों और कार्यों का सर्वदा स्वागत किया जाता है, जो दूसरों की परिस्थिति में सहायता को प्रदर्शित करते हैं।
जीवन के आत्मिक क्षेत्र में चीज़ें किस प्रकार होनी चाहिए, यह उसकी एक सटीक तस्वीर है! हम में से वे, जो आत्मिक रूप से “स्वस्थ” होने, अपने विशवास में बढ़ने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं, कभी-कभी महसूस कर सकते (हैं), कि उनका इस क्षेत्र से कोई सम्बन्ध नहीं है, क्योंकि हम आत्मिक रूप से मसीह के साथ अपने चाल-चलन में उतने परिपक्व और उतने स्वस्थ नहीं हैं, जितने दूसरे हैं।
पौलुस हमें छोटा परन्तु सीधा सुझाव देता है : “इस कारण एक दूसरे को शान्ति दो और एक दूसरे की उन्नति का कारण बनो” (1 थिस्सलुनीकियों 5:11) । और रोम के विश्वासियों के लिए उसने लिखा : हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उसकी भलाई के लिये प्रसन्न करे कि उसकी उन्नति हो” (रोमियों 15:2)। यह पहचानना कि हमारा पिता हमारे ऊपर बहुत ही स्नेह के साथ अनुग्रहकारी है, आइए हम दूसरे लोगों को प्रोत्साहन के शब्दों और कार्यों के साथ परमेश्वर का अनुग्रह दिखाएँ।
जब हम “एक दूसरे को स्वीकार” (पद 7) करते हैं, आइए हम अपनी आत्मिक उन्नति के लिए परमेश्वर – पवित्र आत्मा के कार्य पर आधारित हों। और जब हम प्रतिदिन उसके पीछे चलने का प्रयास करते हैं, तो हम यीशु में अपने भाइयों और बहनों के लिए प्रोत्साहन का वातावरण बनाएँ, जब वे अपने विशवास में बढ़ते हैं।
प्रोत्साहन का एक शब्द हार मान लेने और डटे रहने के बीच अन्तर पैदा कर सकता है।