मेरी आंटी की विज्ञापन की एक रोमांचक नौकरी थी और वह शिकागो से न्यू यॉर्क सिटी के बीच यात्रा करती थी। परन्तु उन्होंने अपने माता-पिता के लिए अपने उस करियर को छोड़ देने को चुना। वे मिनेसोटा में रहते थे और उन्हें देखभाल की जरूरत थी। उनके दोनों भाइयों की युवावस्था में ही दुखद परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी और वह उनके माता-पिता की बची हुई एकलौती सन्तान रह गई थी। उनके लिए अपने माता-पिता की देखभाल करना उनके विश्वास का प्रकटन था।
रोम की कलीसिया को प्रेरित पौलुस के पत्र ने विश्वासियों को एक “जीवित और पवित्र और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान” होने का आग्रह किया (रोमियों 12:1) । उसने आशा की कि वे मसीह के त्यागमय प्रेम को एक-दूसरे को दिखाएँगे। और उसने उन्हें अपने आप को जैसा समझना चाहिए उससे बढ़कर न समझने के लिए कहा (पद 3) । जब उनमें मतभेद और विभाजन आ गया, तो उसने उन्हें घमण्ड को त्याग देने को कहा क्योंकि “वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह होकर आपस में एक दूसरे के अंग हैं।” (पद 5) । उसने विनती की कि वे एक-दूसरे को त्यागमय प्रेम दिखाएँ।
हर दिन हमारे पास एक-दूसरे की सेवा करने का अवसर होता है। उदाहरण के लिए, हम कतार में किसी को हमारे से पहले जाने दे सकते हैं या हम, मेरी आंटी के समान किसी बिमार की देखभाल कर सकते हैं। या हम अपने अनुभव से किसी को सलाह या मार्गदर्शन दे सकते हैं। जब हम अपने आप को एक जीवित बलिदान के रूप में चढ़ाते हैं, तो हम परमेश्वर का आदर करते हैं।
जब हम उसके नाम में एक-दूसरे की सेवा करते हैं, तो हम परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं।