अर्नेस्ट हेमिंग्वे से पूछा गया कि क्या वे छह शब्दों में एक कायल कर देने वाली कहानी लिख सकते हैं। उनका उत्तर था : “बिक्री के लिए : बच्चों के जूते, जिन्हें कभी पहना नहीं गया।” हेमिंग्वे की कहानी जबरदस्त है क्योंकि यह हमें बीच के खाली स्थानों को भरने के लिए प्रेरित करती है। क्या उन जूतों की एक स्वस्थ बच्चे को आवश्यकता नहीं थी? या क्या कोई दुखद घटना हो गई थी-कुछ ऐसा जिसमें परमेश्वर के गहन प्रेम और आराम की जरूरत थी? 

सर्वोत्तम कहानियाँ हमारी कल्पना को उत्पन्न करती हैं, तो यह आश्चर्य की बात नहीं है कि अब तक की बताई गई सर्वोत्तम कहानी हमारी रचनात्मकता को उत्तेजित करती है। परमेश्वर की कहानी में एक केन्द्रीय कथावस्तु है; हम (मानवजाति) पाप में गिर गए; यीशु पृथ्वी पर आया और मारा गया और हमें हमारे पापों से बचाने के लिए पुनर्जीवित हो गया; और अब हम उसके लौटने और सभी वस्तुओं को पुनर्स्थापित कर देने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।   

यह जानते हुए कि पहले क्या हो चुका है और आगे क्या होने वाला है, हमें कैसे जीना चाहिए? यदि यीशु अपनी सम्पूर्ण सृष्टि को बुराई के पंजे से छुड़ा रहा है, तो अनिवार्य है कि “हम अन्धकार के कामों को त्याग कर ज्योति के हथियार बाँध लें।” (रोमियों 13:12)। इसमें परमेश्वर की सामर्थ से पाप से मुड़ना और उससे और दूसरों से भी प्रेम करना सम्मिलित है (पद 8-10) ।

विशेष रूप से यीशु के साथ बुराई के विरुद्ध लड़ना इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे पास कौन से वरदान हैं और हम किन जरूरतों को देखते हैं। आइए हम अपनी कल्पना शक्ति का प्रयोग करें और अपने आस-पास देखें। आइए घायलों और विलापितों को खोजें और परमेश्वर के न्याय, प्रेम और आराम को फैलाएं, जिस भी तरह से वह हमारा मार्गदर्शन करता है।