मैं गर्म दक्षिणी शहरों में बड़ी हुयी, इसलिए जब मैं उत्तर में रहने लगी, मुझे लम्बे, बर्फीले महीनों के दौरान गाड़ी सुरक्षित चलाना सीखने में काफी समय लगा l मेरे पहले कठिन सर्दियों में, तीन बार बर्फ के टीले में फंस गयी! किन्तु कई वर्षों के अभ्यास के बाद, मैं सर्द स्थितियों में गाड़ी चलाने में आराम महसूस करने लगी l वास्तव में, मैं थोड़ा अधिक सहज महसूस करती थी l मैंने सावधान रहना छोड़ दिया l और ठीक उसी समय मैं बर्फ के गोले को मारते हुए सड़क के किनारे टेलीफोन पोल से टकरा गयी!

शुक्र है, किसी को चोट नहीं लगी, किन्तु उस दिन मैंने कुछ महत्वपूर्ण सीखा l मैंने जान लिया कि निश्चिन्त महसूस करना कितना खतरनाक हो सकता है l सचेत होने के स्थान पर, मैं “ऑटोपायलट (चेतनाशून्य)” हो गयी थी l

हमें अपने आत्मिक जीवन में भी उसी प्रकार की सतर्कता का अभ्यास करना होगा l पतरस विश्वासियों को चेतावनी देता है कि जीवन में बेध्यानी से न चले, परन्तु “सचेत रहें” (1 पतरस 5:8) l शैतान क्रियाशीलता से हमें नाश करने का प्रयास कर रहा है, और इसलिए हमें भी क्रियाशील रहना है, परीक्षा का सामना करना है और अपने विश्वास में दृढ़ रहना है (पद.9) l हालाँकि यह ऐसा कुछ नहीं है जो हमें अपनी ताकत से करना है l परमेश्वर हमारे दुःख में हमारे साथ रहने की और, आखिरकार, हमें “सिद्ध और स्थिर और बलवंत”(पद.10) बनाने की प्रतिज्ञा करता है l उसकी सामर्थ्य से, हम बुराई का सामना करने और उसका अनुसरण करने में सचेत और सावधान रहना सीखते है l