Month: अप्रैल 2019

स्थितिपरक अभिज्ञता

हमारा परिवार, हम सब पांच लोग, क्रिसमस की छुट्टियों में रोम घूमने गए l मुझे याद नहीं कब मैंने कभी भी इससे अधिक लोगों को एक स्थान पर ठसाठस देखा है l जब हम भीड़ के बीच से मार्ग बनाते हुए निकलकर वैटिकन और कोलिज़ीयम जैसे दर्शनीय स्थलों को देखने गए, मैंने बार-बार अपने बच्चों से “स्थितिपरक अभिज्ञता”-ध्यान दें आप कहाँ हैं, कौन आपके आसपास है, और क्या हो रहा है-के अभ्यास पर बल दिया l हम ऐसे संसार में रहते हैं, देश और विदेश, जो सुरक्षित स्थान नहीं है l और मोबाइल फ़ोन और इअर बड्स(हेड फोन) का उपयोग करते हुए, बच्चे (और बड़े इस सम्बन्ध में) हमेशा अपने आसपड़ोस की जानकारी का अभ्यास नहीं करते हैं l

स्थितिपरक अभिज्ञता l फिलिप्पियों 1:9-11 में वर्णित फिलिप्पी के विश्वासियों के लिए यह पौलुस की प्रार्थना का एक पहलु है l उनकी परिस्थितियों के विषय कौन/क्या/कहाँ से सम्बंधित उसकी इच्छा उनके लिए सर्वदा-बढ़ता हुआ विवेक था l किन्तु व्यक्तिगत सुरक्षा के कुछ लक्ष्य की अपेक्षा, पौलुस एक श्रेष्ठ उद्देश्य के साथ प्रार्थना किया कि परमेश्वर के पवित्र लोग मसीह के प्रेम के अच्छे भंडारी बन सकें जो उन्होंने प्राप्त किया है, “सर्वोत्तम” को पहचाने, “पवित्र एवं निर्दोष” जीवन जीएँ, और भले गुणों से भर जाएँ जो केवल यीशु उत्पन्न कर सकता है l इस प्रकार का जीवन इस जागरूकता से निकलता है कि हमारे जीवनों में परमेश्वर ही वो है, और उसपर हमारा बढ़ता हुआ भरोसा ही है जिससे उसे प्रसन्नता मिलती है l और प्रत्येक और सभी परिस्थितियाँ ही हैं जहां हम उसके महान प्रेम की अधिकता में से साझा कर सकते हैं l   

न समझाया जा सकने योग्य प्रेम

हमारी छोटी सी मण्डली ने मेरे पुत्र को उसके छटवें जन्मदिन पर उसे आश्चर्यचकित करने का निर्णय किया l कलीसिया के सदस्यों ने उसके सन्डे स्कूल क्लासरूम को गुब्बारों से सजाया और एक छोटे मेज़ पर एक केक रखा l जब मेरे बेटे ने दरवाजा खोला, सभी ने चिल्लाया, “जन्मदिन मुबारक!”

बाद में, जब मैं केक को काट रही थी, मेरा बेटा आकर मेरे कान में फुसफुसाया, “माँ, क्यों सभी लोग यहाँ पर मुझे प्यार करते हैं?” मेरे पास भी वही प्रश्न था! ये लोग हमें केवल छः महीने से जानते थे किन्तु हमसे ऐसा बर्ताव कर रहे थे जैसे बहुत समय से हम उनके मित्र थे l

मेरे पुत्र के लिए उनका प्रेम हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम की झलक थी l हम नहीं समझ सकते वह क्यों हमसे प्रेम करता है, किन्तु वह करता है-और उसका प्रेम मुक्त भाव से दिया जाता है l हमने उसका प्रेम पाने के योग्य कुछ नहीं किया है, और फिर भी वह हमसे  भरपूर रीति से प्रेम करता है l बाइबल हमसे कहती है : “परमेश्वर प्रेम है” (1 यूहन्ना 4:8) l यह परमेश्वर के व्यक्तित्व का एक भाग है l 

परमेश्वर ने अपना प्रेम हमारे ऊपर इसलिए उंडेला है ताकि हम दूसरों के प्रति ऐसा ही प्रेम दिखा सकें l यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो l यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इस से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो” (यूहन्ना 13:34-35) l

हमारी छोटी कलीसिया समुदाय के लोग हमसे प्रेम करते हैं क्योंकि उनमें परमेश्वर का प्रेम है l वह उनमें से होकर चमकता है और यीशु के अनुयायियों के रूप में उनकी पहचान कराता है l हम पूरी तौर से परमेश्वर के प्रेम को समझ नहीं सकते हैं, किन्तु हम दूसरों पर उंडेल सकते हैं- न समझाया जा सकने योग्य उस प्रेम का नमूना बनकर l

उधार ली हुई आशीष

दोपहर के भोजन के समय, मेरे मित्र जेफ़ ने प्रार्थना की : “पिता, आपको धन्यवाद आपने हमें सांस लेने के लिए अपनी हवा और खाने के लिए अपना भोजन दिया है l” जेफ़ हाल ही में नौकरी छूटने की कठिनाई से गुज़रा था, इसलिए परमेश्वर में उसका भरोसा और स्वीकृति कि सब कुछ उसका है ने मुझे पूरी तरह प्रेरित किया l मैंने खुद को विचार करते हुए पाया : क्या मैं ईमानदारी से समझता हूँ कि मेरे जीवन में सबसे बुनियादी, दैनिक वस्तुएं भी वास्तव में परमेश्वर की ही हैं, और वह मुझे केवल उनका उपयोग करने दे रहा है?

जब राजा दाऊद यरूशलेम में मंदिर बनाने के लिए इस्राएलियों से भेंट स्वीकार किया, उसने प्रार्थना की, “मैं क्या हूँ और मेरी प्रजा क्या है कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है l” उसके बाद उसने आगे उसमें जोड़ा, “सब तेरा ही है” (1 इतिहास 29:14, 16) l

बाइबल हमें बताती है कि “सम्पति प्राप्त करने की सामर्थ्य” और आजीविका भी उसी की ओर से मिलती है (व्यवस्थाविवरण 8:18) l यह समझ कि सब कुछ जो हमारा है उधार ही का है इस संसार की वस्तुओं पर हमारी पकड़ को ढीला करके खुले हाथों और हृदय से जीने में हमें प्रोत्साहित करता है-उदारतापूर्वक साझा करते हुए क्योंकि हम प्रतिदिन नेकियों के लिए बहुत ही धन्यवादित है l

परमेश्वर उदार दाता है-इतना प्रेमी कि उसने ”हम सब के लिए” अपना पुत्र भी दे दिया (रोमियों 8:32) l इसलिए कि हमें बहुत अधिक मिला है, काश हम भी सभी छोटी और बड़ी आशीष के लिए उसे ह्रदय को छू जाने वाला अपना धन्यवाद प्रेषित करें l