जब मैं दीर्घा में बैठकर अपनी बेटी का बास्केटबाल मैच देख रही थी, मैंने कोच को लड़कियों से एक शब्द बोलते सुना : “डबल्स”(समरूप खेल) l तुरंत, उनकी खेलने वाली टीम की बचाव रणनीति बॉल फेंकने वाले सबसे लम्बे प्रतिद्वंदी के विरुद्ध एक एक के साथ से दो दो एक  साथ हो गयी l वे उनके बॉल फेंककर और स्कोर बनाने के प्रयास को विफल करने में सफल हो गए, और आख़िरकार बॉल को अपने क्षेत्र के बास्केट(basket) में ले गए l

जब सभोपदेशक का लेखक, सुलेमान, संसार के परिश्रम और निराशाओं का सामना कर रहा था, उसने भी पहचाना कि हमारे मेहनत में सहयोगी के होने से “अच्छा फल मिलता है” (सभोपदेशक 4:9) l जबकि सघर्ष करते हुए अकेले व्यक्ति पर “कोई प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका सामना कर सकेंगे” (पद.12) l जब हम गिर जाते हैं निकट का एक मित्र हमारी सहायता कर सकता है (पद.10) l

सुलेमान के शब्द हमारी यात्रा को दूसरों के साथ साझा करने के लिए उत्साहित करते हैं ताकि हमें अकेले ही जीवन की आजमाइशों का सामना न करना पड़े l हममें से कुछ के लिए, यह अतिसंवेदनशीलता के एक मानक की मांग करता हैं जिससे हम अपरिचित हैं या जो हमारे लिए असुखद है l हममें से कुछ लोग उस प्रकार की निकटता की तीव्र इच्छा करते हैं और मित्रों को ढूंढने में संघर्ष करते हैं जिनके साथ हम उन बातों को साझा करना चाहते हैं l जो भी मामला हो, हमें प्रयास में हार नहीं मानना चाहिए l

सुलेमान और बास्केटबाल के कोच सहमत हैं : जीवन में और खेल के मैदान में टीम के साथियों का अपने आस-पास होना हमारे ऊपर मंडराने वाले संघर्षों का सामना करने के लिए सबसे सर्वोत्तम रणनीति है l हे प्रभु, उन लोगों के लिए धन्यवाद जिन्हें आपने हमारे उत्साह और सहयोग के लिए हमारे जीवनों में दिए हैं l