न्यू यॉर्क से सैन अंटोनियो के विमान पर सवार हुए केवल बीस मिनट हुए थे, विमान का रूप बदल गया जब शांति के स्थान पर कोलाहल मच गया l जब विमान का एक इंजन ख़राब हो गया, इंजन का मलबा विमान की एक खिड़की को तोड़कर भीतर आ गया जिससे केबिन का दबाव घट गया l दुर्भाग्यवश, कई यात्री घायल हो गए औए एक की मृत्यु भी हो गयी l यदि एक अव्याकुल, योग्य पायलट कॉकपिट(चालक स्थान) में नहीं होता – नौसेना लड़ाकू विमान पायलट के रूप में प्रशिक्षित – स्थिति दुखद रूप से और ख़राब होती l हमारे स्थानीय अखबार के मुख्य समाचार में लिखा था, “अद्भुत हाथों में l”

भजन 31 में, दाऊद ने प्रगट किया कि वह प्रभु के अद्भुत, परवाह करनेवाले हाथों के विषय कुछ जानता था l इसलिए वह भरोसे के साथ कह सका, “मैं अपनी आत्मा को तेरे ही हाथ में सौंप देता हूँ” (पद.5) l दाऊद विश्वास करता था कि प्रभु पर उस समय भी भरोसा किया जा सकता था जब जीवन उबड़-खाबड़ हो जाए l प्रतिकूल ताकत द्वारा उसे निशाना बनाने के कारण, दाऊद का जीवन उसके लिए कष्टप्रद हो गया l यद्यपि असुरक्षित, वह आशाहीन नहीं था l उत्पीडन के मध्य दाऊद आराम की सांस ले सकता था और आनंदित हो सकता था क्योंकि उसका भरोसेमंद, प्रेमी परमेश्वर उसके आत्मविश्वास का श्रोत था (पद.5-7) l

शायद आप खुद को जीवन के ऐसी ऋतू में पाएंगे जहाँ बातें हर दिशा से आपकी ओर आ रही हैं, और यह देखना कठिन है कि आगे क्या है l अनिश्चितता, भ्रम, और गड़बड़ी के बीच में एक बात पूरी तौर से निश्चित रहती है : जो प्रभु में सुरक्षित हैं वो अद्भुत हाथों में हैं l