
इंतज़ार से बढ़कर
सड़क छोड़कर और फूटपाथ पर ड्राइव करने के कारण पुलिस ने एक महिला पर लापरवाह ड्राइविंग की वजह दोषारोपित किया क्योंकि उसने एक स्कूल बस का इंतज़ार नहीं किया जो विद्यार्थियों को बस से उतार रही थी!
जबकि यह सच है कि इंतज़ार हमें अधीर कर सकता है, इंतज़ार में कुछ अच्छी बातें की जा सकती हैं और सीखी जा सकती हैं l यीशु इस बात से अवगत था जब उसने अपने शिष्यों से “यरूशलेम को न [छोड़ने]” को कहा (प्रेरितों 1:4) l वे “पवित्र आत्मा से बप्तिस्मा” प्राप्त करने का इंतज़ार कर रहे थे (पद.5) l
संभवतः उत्तेजना और अपेक्षा की स्थिति में, जब वे ऊपरी कोठरी में इकट्ठे थे, शिष्य शायद समझ रहे थे कि जब यीशु ने उनसे इंतज़ार करने को कहा था, वह उनसे कुछ करने को नहीं कहा था l उन्होंने प्रार्थना करने में समय व्यतीत किया (पद.14), और वचन से सूचित होकर, उन्होंने यहूदा के स्थान पर एक नये चेला का चुनाव किया (पद.26) l जब वे आराधना और प्रार्थना में संयुक्त थे, पवित्र आत्मा उनपर उतरा (2:1-4) l
शिष्य केवल इंतज़ार नहीं कर रहे थे – वे तैयारी भी कर रहे थे l जब हम परमेश्वर के सामने इंतज़ार करते हैं, इसका अर्थ कुछ नहीं करना नहीं है या अधीर होकर आगे बढ़ना भी नहीं l इसके बदले हम प्रार्थना, आराधना कर सकते हैं, और वह क्या करेगा की अपेक्षा करते हुए हम उसकी संगति का आनंद ले सकते हैं l इंतज़ार हमारे हृदयों, मनों, और शरीरों को आनेवाली बातों के लिए तैयार करता है l
वास्तव में, जब परमेश्वर हमें इंतज़ार करने की आज्ञा देता हैं, हम उत्तेजित हो सकते हैं – यह जानकार कि हम उसपर और हमारे लिए उसकी योजनाओं पर भरोसा कर सकते हैं!

पड़ोस के परे
2017 की गर्मियों में, हरिकेन हार्वे (बड़ी भारी आंधी) ने अमेरीका के खाड़ी तट के पास जीवन और सम्पति को विनाशकारी नुक्सान पहूंचाया l अनेक लोगों ने तात्कालिक आवश्यकतामन्द लोगों के लिए भोजन, जल, वस्त्र, और आश्रय का प्रबंध किया l
मेरिलैंड में एक पियानो स्टोर के मालिक नकुछ अधिक करने को प्रेरित हुआ l उसने सोचा कि किस तरह संगीत उन लोगों में जिन्होनें सबकुछ खो दिया था एक विशेष प्रकार की चंगाई और सामान्य अवस्था ला सकता था l तब वह और उसके कर्मचारी ऐसे पियानों को जो पूर्व में किसी के थे नया करने में लग गए और पता लगाने लगे कि आवश्यकता सबसे अधिक कहाँ थी l उस बसंत के समय, डीन क्रेमर और उसकी पत्नी, लोईस, एक ट्रक में मुफ्त पियानों लाद कर उजड़े हुए क्षेत्र के कृतज्ञ परिवारों, कलीसियाओं, और स्कूलों में बांटने के लिए टेक्सास, के हयूस्टन की लम्बी यात्रा पर निकल पड़े l
हम कभी-कभी ऐसा मान लेते हैं कि शब्द पड़ोसी का अर्थ है कोई जो निकट रहता है या कम से कम जिसे हम जानते हैं l किन्तु लूका 10 में यीशु ने नेक सामरी का दृष्टान्त यह सिखाने के लिए दिया कि हमारे पड़ोसियों के लिए हमारे प्रेम की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए l सामरिया के उस मनुष्य ने एक घायल अजनबी को मुफ्त में दिया, यद्यपि वह मनुष्य एक यहूदी था, ऐसे लोगों के समूह के भाग को जो सामरियों से एकमत नहीं थे (पद.25-37) l
जब डीन क्रेमर से पूछा गया क्यों उसने वे सारे पियानों को मुफ्त में दे दिया, उसने सरलता से समझाया : “हमें अपने पड़ोसियों से प्रेम करने की आज्ञा मिली है l” और वह यीशु ही था जिसने कहा, परमेश्वर और अपने पड़ोसी से प्रेम करने में “इससे बड़ी और कोई आज्ञा नहीं” (मरकुस 12:31) l
प्रार्थना में लगे रहें
केविन ने अपनी आँखों से आंसू पोछा जब वह अपनी पत्नी, कैरी के पढ़ने के लिए कागज़ का एक टुकड़ा लिए हुए था l वह जानता था कि कैरी और मैं अपनी बेटी के लिए प्रार्थना करते थे कि वह यीशु में पुनः विश्वास करने लग जाए l “यह पर्ची उसकी मृत्यु के बाद मेरी माँ की बाइबल में मिली, और मुझे आशा है कि यह तुम्हें प्रोत्साहित करेगी,” उसने कहा l उस पर्ची के ऊपरी भाग पर ये शब्द थे, “मेरे पुत्र, केविन के लिए l” उन शब्दों के नीचे उसके उद्धार के लिए एक प्रार्थना थी l
केविन ने समझाया, “मैं इस पर्ची को अपनी निजी बाइबल में रखता हूँ l” मेरी माँ ने मेरे उद्धार के लिए पैंतिस वर्षों से अधिक तक प्रार्थना की l मैं परमेश्वर से बहुत दूर था, और अब मैं विश्वासी हूँ l” वह हमारी ओर एक टक देखते हुए अपने आंसुओं में से मुस्कुराया : “अपनी बेटी के लिए प्रार्थना करने में हार न मानना – चाहे जितना समय लग जाए l”
उसके प्रोत्साहन के शब्दों ने मुझे यीशु द्वारा लूका के सुसमाचार में प्रार्थना के विषय बताई गयी कहानी की भूमिका पर सोचने को विवश किया l लूका इन शब्दों के साथ आरम्भ करता है, “फिर [यीशु ने] इसके विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए, उनसे यह दृष्टांत कहा” (18:1) l
इस कहानी में, यीशु एक “अधर्मी न्यायी” (पद.6) जो केवल इसलिए एक निवेदन को मान लेता है क्योंकि वह आगे को और परेशान नहीं होना चाहता है, की तुलना सिद्ध स्वर्गिक पिता से करता है जो गहराई से हमारी चिंता करता है और इच्छित है कि हम उसके पास आएँ l जब भी हम प्रार्थना करते हैं हम उत्साहित हों कि परमेश्वर सुनता है और हमारी प्रार्थनाओं का स्वागत करता है l


बाइबल का नुस्ख़ा
ग्रेग और एलिज़ाबेथ नियमित रूप से स्कूल जाने वाले अपने चार बच्चों के साथ “चुटकुलों की रात” रखते हैं l हर एक बच्चा अनेक चुटकुले लेकर खाने की मेज़ पर बताने के लिए आता है जो उसने सप्ताह के दौरान पढ़े हैं या सुने हैं (या खुद से बनाए है!) इस परंपरा ने मेज़ के आस-पास बांटे गए आमोद-प्रमोद के आनंददायक यादों को स्थापित किया है l ग्रेग और एलिज़ाबेथ ने अपने बच्चों के लिए हंसी को स्वास्थ्यवर्धक, कठिन दिनों में उनके मनोबल को ऊँचा करने वाला भी महसूस किया है l
भोजन की मेज़ के आस-पास आनंदायक बातचीत के लाभ को सी. एस. लेयुईस ने पहचाना था, जिसने लिखा, “सूर्य भोजन के समय एक हँसते हुए परिवार से अधिक किसी और पर इतना नहीं चमकता है l”
एक आनंदित हृदय को बुद्धि से पोषित करने का वर्णन नीतिवचन 17:22 में मिलता है, जहाँ हम पढ़ते हैं, “मन का आनंद अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियां सूख जाती हैं l” यह नीतिवचन स्वास्थ्य और चंगाई को प्रोत्साहित करने का एक “नुस्ख़ा” पेश करता है – हमारे हृदयों को आनंद से भरने की अनुमति देता है, एक औषधि जिसकी कीमत कम और परिणाम बहुत बड़ा है l
हम सब को बाइबल का यह नुस्ख़ा चाहिए l जब हम अपने बातचीत में आनंद को आने देते हैं, वह हमारे असहमति को सही परिपेक्ष्य में पहुंचता है l यह हमें स्कूल में एक तनावपूर्ण परीक्षा या एक कठिन दिन के कार्य के बावजूद भी शांति का अनुभव करने देता है l परिवार एवं मित्रों के बीच हँसी एक सुरक्षित स्थान बना सकता है जहां हम दोनों जानते एवं अनुभव करते हैं कि हम प्रेम किये गए हैं l
क्या आपको अपने जीवन में अपनी आत्मा के लिए और अधिक “अच्छी औषधि” को सम्मिलित करने की ज़रूरत है? स्मरण रखें, आपको बाइबल से एक आनंदित हृदय को विकसित करने का प्रोत्साहन मिलता है l