डार्नेल यह जानते हुए भौतिक चिकित्सक(Physical therapist) के कार्यालय में प्रवेश किया कि वह अत्यधिक दर्द का अनुभव करेगा l चिकित्सक ने उसकी बाहों को खींचा/फैलाया और उनको उन स्थितियों में मोड़े जो मैंने अपने चोट लगने के समय से अभी तक नहीं किये थे  l प्रत्येक असुविधाजनक स्थिति में कुछ क्षणों तक रखते हुए, उसने कोमलता से उससे बोली : “ठीक है, आप आराम कर सकते हैं l” उसने बाद में कहा, “मैं सोचता हूँ कि हर एक थेरेपी सत्र में मैंने कम से कम पचास बार उस बात को सुना : ‘ठीक है, आप आराम कर सकते हैं l’ ”

उन शब्दों पर विचार करते हुए, डार्नेल ने महसूस किया कि ये शब्द उसके सम्पूर्ण जीवन में भी लागू हो सकते हैं l वह चिंता के बदले परमेश्वर की भलाई और विश्वासयोग्यता में आराम कर सकता था l

जब यीशु अपनी मृत्यु के निकट पहुँचा, वह जानता था कि उसके शिष्यों को यह जानना ज़रूरी था l जल्द ही वे उथल-पुथल और सताव का सामना करेंगे l यीशु ने उनको उत्साहित करने के लिए कहा, वह पवित्र आत्मा को उनके साथ रहने और उसकी शिक्षा को उनको याद दिलाने के लिए भेजेगा (यूहन्ना 14:26) l और इसलिए वह कह सका , “मैं तुम्हें शांति दिए जाता हूँ, अपनी शांति तुम्हें देता हूँ . . . तुम्हारा मन व्याकुल न हो, और न डरे” (पद.27) l

हमारे दैनिक जीवनों में बहुत कुछ है जिसके विषय हम ईमानदार हो सकते हैं l किन्तु हम खुद को याद दिलाते हुए परमेश्वर में अपने भरोसे में उन्नति कर सकते हैं कि उसका आत्मा हमारे अन्दर बसता है – और वह अपनी शांति हमें देता है l जब हम उसकी सामर्थ्य पर निर्भर होते हैं, हम चिकित्सक के शब्दों में उसकी सुन सकते हैं : “ठीक है, तुम आराम कर सकते हैं l”