मेरे कॉलेज के दिनों में, गर्मियों के मेरे दिन कोलोराडो के बेहद सुन्दर पहाड़ो के एक अतिथि फार्म/बड़े खेत पर काम करते हुए बीतते थे l बारी के आधार पर, कर्मचारियों को – सोते हुए अतिथियों की सुरक्षा हेतु जंगल की आग पर ध्यान रखने के लिए – “रात को जागने” की ड्यूटी दी जाती थी l जो पहले एक थका देनेवाला और कृतघ्न काम महसूस होता था मेरे लिए शांत रहकर, चिंतन करने, और परमेश्वर की उपस्थिति के ऐश्वर्य में आराम पाने का एक अद्भुत अवसर बन गया l

राजा दाऊद उत्सुकता से परमेश्वर की उपस्थिति को अपने बिछौने पर से और “रात के एक एक पहर में” (पद.6) ढूढ़ता था और उसके लिए प्यासा था (भजन 63:1) l भजन स्पष्ट करता है दाऊद परेशान था l ऐसा संभव है कि इस भजन के शब्द उसके पुत्र अबशालोम के विद्रोह पर उसका गहरा दुःख प्रगट कर रहे हों l फिर भी यह रात दाऊद के लिए “[परमेश्वर] के पंखों की छाया में” (पद.7) – उसकी सामर्थ्य और उपस्थिति में – सहायता और आरोग्यता/तरोताज़गी पाने का समय बन गया l

शायद आप अपने जीवन में किसी संकट या कठिनाई से निकल रहे है, और रात को जागना विश्राम देनेवाला नहीं रहा है l शायद आपका “अबशालोम” आपके हृदय और आत्मा पर भारी है l या परिवार, कार्य, या आपकी आय का बोझ आपके विश्राम के समय को नष्ट कर रहा है l यदि ऐसा है, इन अनिद्र क्षणों को परमेश्वर को पुकारने और उससे लिपटने का अवसर बना लें – उसके प्रेमी बाहों को आपको थामने दे (पद.8) l