Month: जून 2019

रात को जागना

मेरे कॉलेज के दिनों में, गर्मियों के मेरे दिन कोलोराडो के बेहद सुन्दर पहाड़ो के एक अतिथि फार्म/बड़े खेत पर काम करते हुए बीतते थे l बारी के आधार पर, कर्मचारियों को – सोते हुए अतिथियों की सुरक्षा हेतु जंगल की आग पर ध्यान रखने के लिए - “रात को जागने” की ड्यूटी दी जाती थी l जो पहले एक थका देनेवाला और कृतघ्न काम महसूस होता था मेरे लिए शांत रहकर, चिंतन करने, और परमेश्वर की उपस्थिति के ऐश्वर्य में आराम पाने का एक अद्भुत अवसर बन गया l

राजा दाऊद उत्सुकता से परमेश्वर की उपस्थिति को अपने बिछौने पर से और “रात के एक एक पहर में” (पद.6) ढूढ़ता था और उसके लिए प्यासा था (भजन 63:1) l भजन स्पष्ट करता है दाऊद परेशान था l ऐसा संभव है कि इस भजन के शब्द उसके पुत्र अबशालोम के विद्रोह पर उसका गहरा दुःख प्रगट कर रहे हों l फिर भी यह रात दाऊद के लिए “[परमेश्वर] के पंखों की छाया में” (पद.7) – उसकी सामर्थ्य और उपस्थिति में - सहायता और आरोग्यता/तरोताज़गी पाने का समय बन गया l

शायद आप अपने जीवन में किसी संकट या कठिनाई से निकल रहे है, और रात को जागना विश्राम देनेवाला नहीं रहा है l शायद आपका “अबशालोम” आपके हृदय और आत्मा पर भारी है l या परिवार, कार्य, या आपकी आय का बोझ आपके विश्राम के समय को नष्ट कर रहा है l यदि ऐसा है, इन अनिद्र क्षणों को परमेश्वर को पुकारने और उससे लिपटने का अवसर बना लें – उसके प्रेमी बाहों को आपको थामने दे (पद.8) l

परमेश्वर के स्वरुप में

जब उसकी खुबसूरत भूरी त्वचा अपना रंग खोने लगी, वह युवती डर गयी, मानो वह विलुप्त हो रही हो या “खुद” को खो रही हो l भारी श्रृंगार(मेकअप) के साथ, उसने “मेरे दाग़ों” – को छिपा दिया जैसे कि वह उनको संबोधित करती थी, हलके रंग की त्वचा की चकतियाँ जो श्वेतकुष्ठ/विटिलिगो(vitiligo) की स्थिति के कारण होती है l यह त्वचा के रंगद्रव, मेलेनिन(melanin) का नष्ट होना है, जो त्वचा को उसकी रंग/रंगत देती है l

तब एक दिन, उसने खुद से पूछा : क्यों इसे छिपाना? परमेश्वर की सामर्थ्य पर निर्भर होकर स्वयं को स्वीकार करके, उसने भारी मेकअप करना छोड़ दी l जल्द ही वह अपने आत्म-विश्वास के लिए ध्यान आकर्षित करने लगी l आखिरकार वह श्वेतकुष्ठ/विटिलिगो(vitiligo) के साथ एक वैश्विक प्रसाधन सामग्री ब्रांड की प्रथम प्रवक्ता मॉडल बन गयी l

उसने एक टीवी मेज़बान(host) को बताया, “यह कितनी बड़ी आशीष है” और आगे कहा कि वह अपने विश्वास, परिवार, और मित्रों में ही प्रोत्साहन पाती है l

इस स्त्री की कहानी हमें स्मरण करने को आमंत्रित करती है कि हममें से हर एक परमेश्वर के स्वरुप में रचे गए हैं l “परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरुप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की” (उत्पत्ति 1:27) l चाहे हम बाहर से जैसा दिखाई दें, हम सब परमेश्वर के स्वरुप के धारक है l हम उसकी बनायी हुयी सृष्टि के रूप में, उसकी महिमा को प्रतिबिंबित करते हैं; औए हम यीशु के विश्वासी के रूप में संसार में उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए रूपान्तरित किये गए हैं l

क्या आप अपनी त्वचा से प्रेम करने में संघर्ष करते हैं?  आज, आईने में देखें और परमेश्वर के लिए मुस्कुराएँ l उसने आपको अपने ही स्वरुप में रचा है l

आईना में वस्तुएँ

“ज़रूरी l आगे बढ़ें l और तेज़ गति से l” 1993 की फिल्म जुरासिक पार्क के पसंदीदा दृश्य में उपरोक्त शब्द जेफ़ गोल्डबल्म द्वारा अभिनीत, डॉ. आयान मैलकोम के हैं जब वे और दो अन्य चरित्र एक जीप में घातक दैत्यसरट(tyrannosaurus/ दो पावों वाला मांसाहारी डायनासोर) से भाग रहे होते हैं l जब चालाक पीछे की चीजों को देखनेवाले आईने में देखता है, उसे आईने पर लिखे शब्द, “आईने में दिखाई देनेवाली वास्तुएँ अपनी वास्तविक दूरी से निकट हो सकती हैं” के ठीक ऊपर - रेंगनेवाले प्रबल जंतु के जबड़े दिखाई देते हैं l

यह दृश्य उग्रता और भयानक परिहास का कुशल मिश्रण है l परन्तु कभी-कभी हमारे अतीत के “राक्षस” ऐसे महसूस होते हैं जैसे वे हमारा पीछा करना नहीं छोड़ेंगे l हम अपने जीवन के “आईने” में देखते हैं और हम उन गलतियों को हमें दोष या लज्जा से भस्म करने के लिए डराते हुए, उसी स्थान पर मंडराते देखते हैं l  

प्रेरित पौलुस अतीत की पंगु बनाने वाली संभव शक्ति को समझता था l उसने मसीह से अलग रहकर सम्पूर्ण/सिद्ध जीवन बिताने में वर्षों तक प्रयास किया, और मसीहियों को भी सताया (फिलिप्पियों 3:1-9) l अतीत पर पछतावा उसे सरलता से पंगु बना सकता था l

परन्तु पौलुस ने मसीह के साथ अपने सम्बन्ध में इतनी खूबसूरती और सामर्थ्य का अहसास किया कि वह अपने पुराने जीवन को छोड़ने पर विवश हुआ (पद.8-9) l इस बात ने उसे पछतावे के भय में पीछे देखने के स्थान पर विश्वास में आगे देखने के लिए स्वतंत्र किया : “परन्तु केवल यह एक काम करता हूँ कि जो बातें पीछे रह गयी हैं उनको भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ, निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ” (पद.13-14) l

मसीह में हमारा छुटकारा हमें उसके साथ रहने के लिए स्वतंत्र कर दिया है l जब हम आगे बढ़ते हैं हम “(अपने) आईने में उन बातों को” हमारी दिशा निर्धारित करने न दें l