जब हमनें अपने पीछे के आँगन में पानी की धारा देखी, वह गर्मियों की दिनों में चट्टानों के अन्दर से केवल एक पतली रिसाव थी l लकड़ी के भारी तख्तों के सहारे हम सरलता से आना-जाना कर लेते थे l महीनों बाद, हमारे क्षेत्र में अनेक दिनों तक मूसलाधार बारिश हुयी l हमारी छोटी सी नियंत्रित जलधारा चार फीट गहरी और दस फीट चौड़ी तेज़ बहनेवाली बड़ी नदी बन गई! प्रबल जल प्रवाह ने तख्तों को बहाकर अनेक फीट दूर टिका दिया l

तेज़ जलधारा अपने मार्ग में आनेवाली लगभग सभी वस्तुओं पर प्रबल हो जाती है l फिर भी कुछ है जो बाढ़ अथवा अन्य ताकतों के सामने अविनाशी है जो उसे नष्ट करना चाहती है – प्रेम l “पानी की बाढ़ से भी प्रेम नहीं बुझ सकता , और न महानदों से डूब सकता है” (श्रेष्ठगीत 8:7) l आमतौर पर रोमांटिक संबंधों में प्रेम की दृढ़ शक्ति और तीव्रता उपस्थित होती है, परन्तु केवल उसी प्रेम में पूरी तौर से अभिव्यक्त है जो परमेश्वर अपने पुत्र, यीशु मसीह में आपने लोगों के लिए रखता है l

जब वे बातें मिट जाती हैं जिन्हें हम मजबूत और भरोसेमंद मानते हैं, हमारी निराशाएं हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम की एक नयी समझ का द्वार खोल देती हैं l उसका प्यार इस पृथ्वी पर की किसी भी बात से ऊंचा और गहरा और ताकतवर और टिकाऊ है l हम जिसका भी सामना करते हैं, हम उसके साथ करते हैं जो हमारे निकट है – हमें थामें हुए है, मिलकर सहायता करता है, और याद दिलाता है कि हमें प्रेम किया जाता है l