एक सहपाठी ने मेरे परिवार को एक पंजीकृत कोल्ली(कुत्ते की प्रजाति) दिया जो अधिक उम्र के कारण प्रजनन करने में समर्थ नहीं रह गयी थी l हमें भी पता चला कि इस सुन्दर कुतिया ने, दुर्भाग्यवश, अपने जीवन का अधिक समय एक छोटे बाड़े में बितायी थी l वह केवल चुस्त घेरे में ही चल पाती थी l वह कोई वस्तु उठाने में असमर्थ थी और सीधी दिशा में दौड़ भी नहीं पाती थी l और खेलने के लिए एक बड़ा अहाता होने के बावजूद, वह सोचती थी वह बाड़े में बंद है l

आरंभिक मसीही, जिनमें से अधिकतर यहूदी थे, मूसा की व्यवस्था द्वारा घिरा हुआ जानते थे l यद्यपि व्यवस्था अच्छी थी और उन्हें पाप के प्रति दोषी ठहराकर यीशु के पास लाने के लिए थी (गलातियों 3:19-25), यह समय परमेश्वर के अनुग्रह और मसीह की स्वतंत्रता पर आधारित होकर अपने नए विश्वास को व्यवहार में लाने का था l और क्या अभी तक, वे वास्तव में स्वतंत्र थे?

हमारे पास भी वही समस्या हो सकती है l शायद सख्त नियम वाली कलीसिया में हमारी परवरिश हुयी है जिसने हमें चारो ओर से घेर रखा था l या हमारी परवरिश स्वतंत्रता प्रदान करने वाले परिवारों में हुयी है जो नियमों की सुरक्षा के लिए आतताई नहीं हैं l दोनों ही तरह से, मसीह की स्वतंत्रता अपनाने का समय है (गलातियों 5:1) l यीशु ने हमें प्रेम के कारण उसकी आज्ञा मानने के लिए (युहन्ना 14:21) और “प्रेम से एक दूसरे के दास [बनने]” के लिए (गलातियों 5:13) स्वतंत्र किया है l आनंद और प्रेम का एक पूरा क्षेत्र उनके लिए खुला है जो पहचानते हैं कि “यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे” (युहन्ना 8:36) l