चुस्त घेरा
एक सहपाठी ने मेरे परिवार को एक पंजीकृत कोल्ली(कुत्ते की प्रजाति) दिया जो अधिक उम्र के कारण प्रजनन करने में समर्थ नहीं रह गयी थी l हमें भी पता चला कि इस सुन्दर कुतिया ने, दुर्भाग्यवश, अपने जीवन का अधिक समय एक छोटे बाड़े में बितायी थी l वह केवल चुस्त घेरे में ही चल पाती थी l वह कोई वस्तु उठाने में असमर्थ थी और सीधी दिशा में दौड़ भी नहीं पाती थी l और खेलने के लिए एक बड़ा अहाता होने के बावजूद, वह सोचती थी वह बाड़े में बंद है l
आरंभिक मसीही, जिनमें से अधिकतर यहूदी थे, मूसा की व्यवस्था द्वारा घिरा हुआ जानते थे l यद्यपि व्यवस्था अच्छी थी और उन्हें पाप के प्रति दोषी ठहराकर यीशु के पास लाने के लिए थी (गलातियों 3:19-25), यह समय परमेश्वर के अनुग्रह और मसीह की स्वतंत्रता पर आधारित होकर अपने नए विश्वास को व्यवहार में लाने का था l और क्या अभी तक, वे वास्तव में स्वतंत्र थे?
हमारे पास भी वही समस्या हो सकती है l शायद सख्त नियम वाली कलीसिया में हमारी परवरिश हुयी है जिसने हमें चारो ओर से घेर रखा था l या हमारी परवरिश स्वतंत्रता प्रदान करने वाले परिवारों में हुयी है जो नियमों की सुरक्षा के लिए आतताई नहीं हैं l दोनों ही तरह से, मसीह की स्वतंत्रता अपनाने का समय है (गलातियों 5:1) l यीशु ने हमें प्रेम के कारण उसकी आज्ञा मानने के लिए (युहन्ना 14:21) और “प्रेम से एक दूसरे के दास [बनने]” के लिए (गलातियों 5:13) स्वतंत्र किया है l आनंद और प्रेम का एक पूरा क्षेत्र उनके लिए खुला है जो पहचानते हैं कि “यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे” (युहन्ना 8:36) l
बड़ी बातें!
नवम्बर 9, 1989 को, संसार बर्लिन दीवार गिराए जाने के खबर से चकित रह गया l दीवार जिसने बर्लिन, जर्मनी, को विभाजित कर रखा था, गिर रहा था और वह शहर जो अट्ठाईस वर्षों से विभाजित था अब पुनः संयुक्त होने जा रहा था l यद्यपि आनंदोल्लास का भूगौलिक केंद्र जर्मनी था, दर्शक संसार इस उत्तेजना में सम्मिलित हुआ l कुछ बड़ी घटना हुयी थी!
लगभग सत्तर वर्षों तक निर्वासन में रहने के पश्चात जब 538 ई.पू. में इस्राएल अपने गृह राष्ट्र को लौटा, वह भी ऐतिहासिक था l भजन 126 अपने दृष्टिकोण से इस्राएल के इतिहास में आनंद से परिपूर्ण समय को देखता है l यह अवसर खिलखिलाहट, आनंददायक गायन, और अन्तेर्राष्ट्रीय स्वीकृति द्वारा चिन्हित था कि परमेश्वर ने अपने लोगों के लिए बड़ा काम किया था (पद.2) l और उसके बचाने वाले करुणा को ग्रहण करनेवालों की प्रतिक्रिया क्या थी? परमेश्वर की ओर से बड़े बड़े काम का परिणाम हर्ष था (पद.3) l साथ ही साथ, अतीत में उसके काम वर्तमान के लिए नयी प्रार्थनाओं और भविष्य के लिए उज्ज्वल आशा का आधार बन गए (पद.4-6) l
आपको और हमें परमेश्वर की ओर से बड़ी बातों के उदाहरण खोजने के लिए अपने निजी अनुभवों में बहुत दूर देखने की ज़रूरत नहीं है, विशेषकर यदि हम उसके पुत्र, यीशु के द्वारा परमेश्वर में विश्वास करते हैं l उन्नीसवीं सदी की गीत लेखिका फैनी क्रोस्बी ने इस भाव को वश में कर ली थी जब उसने लिखा, “महान उसकी शिक्षा, अद्भुत उसके काम, उसी के द्वारा मिलता आनंद अपार, पर इन से भी गहरा होगा वह आनंद, आँखों से निहारूंगा ख्रिस्त तारणहार l” वाकई, ईश्वर तेरी जय हो, महान तेरा काम!
अपनी आवाज़ का उपयोग करें
मुझे एक विश्वविख्यात पियानोवादक से मुलाकात करने के लिए आमंत्रित किया गया l इसलिए कि संगीत में ही मेरी परवरिश हुयी – वायलिन और पियानो बजाना, और मुख्यतः चर्च और अन्य अवसरों के लिए एकल गीत गाना – मैं इस अवसर के लिए अति आनंदित था l
जब मैं पियनो वादक से मिलने पहुँचा, मैंने पता चला कि वह अंग्रेजी कब बोलते थे; और मैं चकित हुआ जब उन्होंने मुझे बजाने के लिए सेलो दी l वायलिन के परिवार का एक वाद्ययंत्र जिसे मैंने कभी स्पर्श तक नहीं किया था l उन्होंने जिद्द की कि मैं सेलो बजाऊँ और वह मेरा साथ देंगे l मैंने कुछ एक सुर बजाते हुए, अपने वायलिन प्रशिक्षण की नकल उतारने की कोशिश की l अंततः स्वीकारते हुए कि मैं भटक गया हूँ, हम जुदा हुए l
मुझे होश आया कि वह परिदृश्य एक सपना था l परन्तु इसलिए कि मेरे सपने में उपस्थित संगीत पृष्ठभूमि वास्तविक थी, मेरे मन में ये शब्द देर तक रहे, तुमने उनको क्यों नहीं बताया कि तुम गा सकते हो?
परमेश्वर दूसरों के लिए हमारे स्वाभाविक गुणों और हमारे आत्मिक वरदानों को विकसित करने के लिए सज्जित करता है (1 कुरिन्थियों 12:7) l बाइबल के प्रार्थनामय पठन के द्वारा और दूसरों के बुद्धिमान सलाह से, हम आत्मिक वरदान (या वरदानों) को जो अद्वतीय रूप से हमारे हैं बेहतर समझ सकते हैं l प्रेरित पौलुस हमें स्मरण दिलाते हैं कि जो भी हमारे आत्मिक वरदान हैं, हमें समय निकलकर उन्हें खोजना है और उनका उपयोग करना है, यह जानते हुए कि आत्मा “जिसे जो चाहता है” उसे बाँट देता है (पद.11) l
आइए हम पवित्र आत्मा द्वारा हमें दी गयी “आवाजों” को परमेश्वर का आदर करने और यीशु में विश्वासियों की सेवा करने में उपयोग करें l
जीएं l प्रार्थना करें l प्रेम करें l
यीशु में दृढ़ विश्वासी माता-पिता से प्रभावित प्रसिद्ध धावक जेसी ओवन्स साहसी विश्वासी का जीवन जीया l बर्लिन में, 1936 के ओलिंपिक खेल के दौरान, अमरीकी दल में इने-गिने अफ़्रीकी अमरीकियों में से एक, ओवन्स ने, द्वेष से पूर्ण नाज़ियों और उनके लीडर, हिट्लर की उपस्थिति में चार स्वर्ण पदक प्राप्त किया l उसने जर्मनी के एक साथी खिलाड़ी, लूज़ लॉन्ग, से भी मित्रता की l नाज़ी मत प्रचार के बीच, ओवन्स के प्रगट विश्वास के सरल कार्य ने लूज़ के जीवन को प्रभावित किया l बाद में, लॉन्ग ने ओवन्स को लिखा : “उस वक्त बर्लिन में जब मैं पहली बार तुम से बात की, जब तुम घुटने पर थे, मैं समझ गया था तुम प्रार्थना कर रहे हो . . . मेरे विचार से मैं परमेश्वर में विश्वास कर सकता हूँ l”
ओवन्स ने दिखाया कि विश्वासी कैसे प्रेरित पौलुस की “बुराई से घृणा करो” और “भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्नेह रखो” की आज्ञा पूरी कर सकते हैं (रोमिमों 12:9-10) l यद्यपि वह अपने चारों ओर की बुराई का बदला घृणा द्वारा दे सकता था, ओवन्स ने विश्वास से जीने का चुनाव किया और एक व्यक्ति को प्रेम दिखाया जो आगे चलकर उसका मित्र बनने वाला था और आख़िरकार परमेश्वर में विश्वास करने पर विचार करने वाला था l
जब परमेश्वर के लोग “प्रार्थना में नित्य लगे [रहने]” (पद.12), के लिए समर्पित होते हैं वह हमें “आपस में एक सा मन [रखने]” (पद.16) की सामर्थ्य देता है l
हम प्रार्थना पर आधारित होकर, अपने विश्वास को जी सकते हैं और परमेश्वर के स्वरूप में रचे हुए समस्त लोगों से प्रेम कर सकते हैं l जब हम परमेश्वर को पुकारते हैं, वह हमें बेड़ियों को तोड़ने और हमारे पड़ोसियों के साथ पुल बांधने में/अंतर मिटाने में सहायता करेगा l