माह: अगस्त 2019

आत्मिक रूप से थकित?

ज़ैक एस्वाइन अपनी पुस्तक द इम्परफेक्ट पास्टर में लिखते हैं, “भावनात्मक रूप से, कभी-कभी हमने एक दिन का काम एक घंटे में कर दिया है l” यद्यपि वह विशेषकर उन जिम्मेदारियों के विषय सन्दर्भ दे रहे थे जो अक्सर पासबान उठाते हैं, और यह हममें से किसी के लिए भी सच है l वज़नी मनोभाव और जिम्मेदारियां हमें शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक तौर पर थका देती हैं l और केवल हमें सोने की इच्छा होती है l

1 राजा 19 में, नबी एलिय्याह ने खुद को हर तरह से कमज़ोर पाया l हम पढ़ते हैं कि रानी इज़ेबेल ने यह जानकार कि उसने बाल के नबियों को मार डाला है (देखें 18:16-40), उसकी हत्या करने की धमकी दी (पद.1-2) l एलिय्याह अत्यधिक भयभीत होकर अपना प्राण लेकर भागा और अपनी मृत्यु मांगने लगा (19:3-4) l

अपनी विपत्ति में, वह सो गया l एक स्वर्गदूत ने उसे दो बार छूकर उससे कहा, “उठकर खा” (पद.5,7) l दूसरी बार के बाद, एलिय्याह परमेश्वर द्वारा दिए गए भोजन से शक्ति पाकर, “चालीस दिन रात चलते-चलते” एक गुफा में पहुँचा (पद.8-9) l वहां पर, प्रभु उसको दर्शन दिया और उसे पुनः सशक्त करके भेजा (19:3-4) – और वह तरोताज़ा होकर परमेश्वर द्वारा दिये गए कार्य को निरंतर करने में सक्षम हुआ l

कभी-कभी हमें भी प्रभु में प्रोत्साहित होने की ज़रूरत है l यह दूसरे विश्वासी के साथ संवाद, एक उपासना गीत, या प्रार्थना और परमेश्वर के वचन में समय देने के रूप में हो सकता है l

क्या आप थक गए हैं? परमेश्वर को अपना बोझ देकर तरोताज़ा हो जाएं! वह आपका बोझ उठाएगा l

सम्बन्ध रखने के लिए रचे गए

तनहा लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अनेक देशों में रेंट-ए-फैमिली(rent-a-family) उद्योग बढ़ रहा है l कुछ लोग इस सेवा का उपयोग दिखाने के लिए करते हैं, ताकि किसी सामाजिक अवसर पर वे सुखी परिवार वाले दिखाई दें l कुछ लोग बेपरवाह सम्बन्धियों के सामने झूठा स्वांग रचने के लिए अदाकारों को भाड़े पर बुलाते हैं, ताकि थोड़े समय के लिए ही सही, वे कौटुम्बिक संबंद का अनुभव कर सकें जिसकी वे इच्छा रखते हैं l

यह विचारधारा एक बुनियादी सच्चाई को प्रतिबिंबित करता है : मनुष्य सम्बन्ध रखने के लिए रचे गए हैं l उत्पत्ति में सृष्टि की कहानी में, परमेश्वर हर एक चीज़ को जो उसने बनाया था देखता है और देखता है कि वह “बहुत अच्छा है”(1:31) l परन्तु परमेश्वर आदम को देखकर कहता है, “आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं”(2:18) l मनुष्य को एक और मनुष्य की ज़रूरत थी l

बाइबल हमें केवल रिश्ता रखने की हमारी आवश्यकता के विषय ही नहीं बताती है l वह हमें यह भी बताती है कि कहाँ सम्बन्ध मिल सकता है : यीशु के अनुयायियों में l यीशु ने अपनी मृत्यु के समय, अपने मित्र युहन्ना से मसीह की माँ को अपनी माँ स्वीकारने को कहा l यीशु के जाने के बाद भी वे आपस में एक परिवार के रूप में रहने वाले थे (युहन्ना 19:26-27) l और पौलुस ने विश्वासियों को दूसरों से माता-पिता और भाई-बहन का सा बर्ताव करने का निर्देश दिया (1 तीमुथियुस 5:1-2) l भजनकार हमसे कहता है कि संसार में परमेश्वर के छुटकारे के काम का एक हिस्सा “अनाथों का घर [बसाना]” है (भजन 68:6), और परमेश्वर ने कलीसिया को यह काम करने के लिए एक सर्वोत्तम स्थान के रूप में अभिकल्पित किया है l

परमेश्वर का धन्यवाद हो, जिसने हमें सम्बन्ध रखने के लिए बनाया है और अपने लोगों को हमारा परिवार होने के लिए दिया है!

एक दुखद कहानी

यह दुखद है, एक ख़ास बुराई जो लम्बे समय से लोगों से छिपाया जाता रहा है – अनेक स्त्रियों का उन पुरुषों द्वारा यौन शोषण जो उनपर अधिकार रखते थे – अब उजागर हो गया है l एक के बाद एक स्थायी हैडलाइन, दो लोग जिनका मैं प्रशंसक था के विषय शोषण करने का सबुत सुनकर मेरा हृदय बैठ गया l चर्च इन मामलों के विषय प्रभावशून्य(immune) नहीं रही है l

राजा दाऊद ने अपने हिसाब किताब का सामना किया l शमूएल हमें बताता है कि एक दिन दोपहर के समय, दाऊद को “ एक स्त्री . . . नहाती हुए देख पड़ी” (2 शमूएल 11:2) l और दाऊद ने उसकी अभिलाषा की l यद्यपि बतशेबा उसके एक वफादार सिपाही(ऊरिय्याह) की पत्नी थी, बावजूद इसके दाऊद ने उसे ले लिया l बेतशेबा के दाऊद को बताने पर कि वह गर्भवती है, वह घबरा गया l और दाऊद ने धोखे के एक घृणित कार्य के अंतर्गत, योआब द्वारा ऊरिय्याह को युद्ध में ही मरवा दिया l

दाऊद का बेतशेबा और ऊरिय्याह के विरुद्ध अपने अधिकार का दुरूपयोग किसी भी प्रकार से छिपा हुआ नहीं है l शमूएल निश्चित तौर से चाहता है कि हम इस पूरी घटना को जानें l हमें अपने पाप से पेश आना होगा l

और, हमें इन कहानियों को सुनना भी होगा क्योंकि यह हमें हमारे समय में अधिकार के दुरूपयोग के प्रति चिताते हैं l यह दाऊद था, “एक मनुष्य [परमेश्वर] के मन के अनुसार” (प्रेरितों 13:22), परन्तु एक ऐसा व्यक्ति भी जिसे उसके कृत्य के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना ज़रूरी था l हम भी प्रार्थनापूर्वक अगुओं को उनके अधिकार के उपयोग या दुरूपयोग के लिए जिम्मेदार ठहरा सकें l

परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा, छुटकारा संभव है l यदि हम आगे पढ़ें, हम दाऊद के गंभीर पश्चाताप का सामना करते हैं (2 शमूएल 12:13) l हम धन्यवादित हों, कि आज भी हृदय मृत्यु से जीवन को ओर मुड़ सकते हैं l

लिंकन के पॉकेट में की वस्तुएँ

1865 में उस रात जब अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को फोर्ड थिएटर में गोली मारी गयी, उनके पॉकेट में ये वस्तुएं थीं : उनका चश्मा, चश्मा साफ़ करनेवाला, एक पॉकेट चाकू, जेब घड़ी, रूमाल, चमड़े का बटुआ जिसमें पांच डॉलर का नोट, और अखबार के आठ कटिंग, जिसमें कई उनकी और उनकी राजनीति की तारीफ़ वाले थे l

मुझे आश्चर्य है कि राष्ट्रपति के पॉकेट में डॉलर क्यों था, परन्तु उत्साही खबरों के विषय मुझे थोड़ा शक है l सभी को उत्साह चाहिए, लिंकन के समान एक महान लीडर को भी! क्या आप उस प्राणघाती नाटक के कुछ क्षण पहले उन्हें देख सकते हैं, शायद वे अपनी पत्नी को वह ख़बर पढ़कर सुना रहे हों?

आप किसको जानते हैं जिसे उत्साह चाहिए? सभी को! अपने चारों ओर देखें l आप जहाँ तक दृष्टि दौड़ा सकते हैं, कोई भी व्यक्ति जैसे वे दिखाई देते हैं आत्मविश्वासी नहीं हैं l हम सब आत्म-संदेह से दूर पराजय, व्यंगात्मक टिप्पणी, अथवा अप्रिय हैं l

कितना अच्छा होता यदि हम सब परमेश्वर की आज्ञा मानते हुए “अपने पड़ोसी को उसकी भलाई के लिए पसंन [करते] कि उसकी उन्नति हो?” (रोमियों 15:2) l कितना अच्छा होता यदि हम केवल “मनभावने वचन” जो “प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं” बोलने को दृढ़ होते (नीतिवचन 16:24) l कितना अच्छा होता यदि हम इन शब्दों को लिख लेते, ताकि मित्र उन्हें बार-बार पढ़ पाते और उनका स्वाद ले पाते? तब हम सब के पॉकेट में (अथवा हमारे फोन में!) इस प्रकार के पत्र होते l और हम और भी यीशु के समान होते, जिसने “अपने आप को प्रसन्न नहीं किया” परन्तु परहित जीवन जीया (रोमियों 15:3 l

नियंत्रण का भ्रम

हम जीवन की घटनाओं पर प्रभाव का जो स्तर रखते हैं, 1975 में एलेन लैंगर के अध्ययन का शीर्षक द इल्यूजन ऑफ़ कन्ट्रोल(The Illusion of Control)  ने इसकी जांच की l उसने पाया कि अधिकतर स्थितियों में हम अपने नियंत्रण की स्थिति को वास्तविक से अधिक समझते हैं l इस अध्ययन ने यह भी दर्शाया कि किस प्रकार वास्तविकता लगभग हमेशा हमारे भ्रम को टुकड़े-टुकड़े कर देता है l

अध्ययन के प्रकाशित होने के बाद से एलेन लैंगर के निष्कर्ष दूसरों के प्रयोगों द्वारा समर्थित है l हालाँकि, उसके द्वारा उल्लेख करने से पूर्व याकूब ने बहुत पहले इस तथ्य को पहचान लिया था l याकूब 4 में, उसने लिखा, “तुम जो यह कहते हूँ, ‘आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ कमाएंगे l’ और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा l सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो भाफ के समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है फिर लोप हो जाती है” (पद.13-14) l

उसके बाद याकूब पूर्ण नियंत्रण रखने वाले की ओर इशारा करते हुए इस भ्रम का इलाज बताता है : “इसके विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, ‘यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे” (पद.15) l इन कुछ एक पदों में, याकूब मानवीय स्थिति और उसका उपचार दोनों को ही मूल असफलता कहता है l

हम यह जान सकें कि हमारी नियति हमारे हाथों में नहीं हैं l क्योंकि परमेश्वर अपने नियंत्रण में सब कुछ रखा है, हम उसकी योजनाओं पर भरोसा कर सकते हैं!