Month: अगस्त 2019

छिपा हुआ यीशु

हाल ही में मेरा बेटा जेफ़ एक “बेघर मिथ्याभास(homeless simulation)” में भाग लिया l वह अपने शहर के सड़कों पर, खुले आसमान के नीचे जमाव बिंदु से कम तापमान में तीन दिन और दो रात गुज़ारे l वह भोजन, पैसा, या आश्रय के बिना अपनी बुनियादी ज़रूरतों के लिए अनजान लोगों की दया पर आश्रित रहा l उनमें से एक दिन उसका भोजन केवल एक सैंडविच था, जो एक व्यक्ति उसे लाकर दिया था जिसने उसे एक फ़ास्ट-फ़ूड रेस्टोरेंट में बासी भोजन मांगते हुए सुना था l  

जेफ़ ने बाद में मुझसे कहा कि यह सबसे कठिन काम था जो उसने कभी किया हो, फिर भी इस बात ने दूसरों के प्रति उसके दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित किया था l उसने अपने मिथ्याभास(simulation) के बाद एक दिन बेघर लोगों को खोजकर सरल तरीकों से उनकी सहायता की जिन्होनें उसके सड़क पर रहते समय उसपर दया दिखाई थी l उनको यह जानकार आश्चर्य हुआ कि वह बेघर नहीं था और उन्होंने उनकी नज़रों से जीवन को देखने के लिए उसको धन्यवाद दिये l

मेरे बेटे का अनुभव यीशु के शब्दों की याद दिलाता है : “मैं नंगा था, और तुमने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, और तुमने मेरी सुधि ली, मैं बंदीगृह में था, और तुम मुझसे मिलने आए . . . तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया” (मत्ती 25:36, 40) l चाहे हम प्रोत्साहन का एक शब्द बोलें या एक थैला किराने का सामान दें, परमेश्वर हमें प्रेम से दूसरों की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए बुलाता है l दूसरों के प्रति हमारी दयालुता उसके प्रति दयालुता है l

परमेश्वर की रचनात्मकता का उत्सव मनाना

जैसे ही चर्च प्रेक्षालय (auditorium) संगीत से भर गया, रंग के प्रति दृष्टिहीन कलाकार लैंस ब्राउन मंच पर आया l वह एक बड़े सफ़ेद फलक के सामने खड़ा था, उसकी पीठ दर्शकों की ओर थी और उसने अपने ब्रश को काले पेंट में डुबोया l उसने सरलता से फलक पर तूलिका फेरते हुए एक क्रूस बनाया l अपने हाथों और तूलिकाओं का उपयोग करते हुए, इस दृश्य कहानी वाचक ने मसीह के क्रूसीकरण और पुनरुत्थान के अनेक तस्वीरें बना डालीं l उसने फलक के बड़े खण्डों को काले रंग से भर दिया और छः मिनट से भी कम समय में इस अमूर्त चित्रकला में नीला और सफेद रंग भरकर पूरा कर दिया l उसने फलक को उठाकर  उल्टा कर दिया, और एक छिपे हुए चित्र को प्रगट किया – करुणा से पूर्ण चेहरा – यीशु l

ब्राउन ने कहा कि जब उसके एक मित्र ने उससे चर्च आराधना में गति-चित्रकारी करने की सलाह दी वह अनिच्छुक था l फिर भी अब वह अंतर्राष्ट्रीय यात्रा करके आराधना करने में लोगों की अगुवाई करते हुए चित्रकारी करके दूसरों के साथ मसीह को साझा करता है l

प्रेरित पौलुस परमेश्वर द्वारा अपने लोगों को दिए गए विविध वरदानों के महत्त्व और उद्देश्य को अनुमोदित करता है l उसके परिवार का हर एक सदस्य प्रभु की महिमा करने और दूसरों को प्रेम में विकसित करने के लिए सज्जित किया गया है (रोमियों 12:3-5) l पौलुस हमें अपने वरदानों को पहचान कर दूसरों को लाभ पहुंचाने और यीशु की ओर इंगित करते हुए कर्मठता और प्रसन्नता से सेवा करने हेतु उत्साहित करता है (पद. 6-8) l

परमेश्वर ने हममें से हर एक को पूरे मन से परदे के पीछे या सबसे आगे रहकर सेवा करने के लिए आत्मिक वरदान, गुण, कौशल और अनुभव दिए हैं l जब हम उसके रचनात्मकता का उत्सव मानते हैं, वह हमारी अद्वितीयता का उपयोग सुसमाचार फैलाने और प्रेम में दूसरों को निर्मित करने के लिए करता हैं l

“चाहे”

2017 में, अमरीका में हरिकेन हार्वे (प्रचंड तूफ़ान) के बाद लोगों की सहायता करने का अवसर हममें से एक समूह को ह्यूस्टन पहुँचा दिया l हमारा लक्ष्य तूफ़ान से प्रभावित लोगों को उत्साहित करना था l इस प्रक्रिया में, हमारे खुद के विश्वास ने चुनौती का सामना करके  मजबूत हुआ जब हम उनके साथ उनके क्षतिग्रस्त चर्च इमारतों और घरों में खड़े थे l

हार्वे (प्रचंड तूफ़ान) के परिणामस्वरूप अनेक लोगों द्वारा दर्शाया गया दीप्तिमान विश्वास ही वह है जिसे हम हबक्कूक द्वारा ई.पू. सातवीं शताब्दी के अंत के नबूवत में पाते हैं l नबी ने नबूवत की कि कठिन समय आने वाला था(1:5-2:1); स्थिति बेहतर होने से पूर्व बदतर हो जाएगी l नबूवत का अंत उसे पृथ्वी की होनेवाली हानि पर विचार करते हुए पाटा है और शब्द चाहे तीन गुना दिखाई देता है : “चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगे . . .  जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए . . . , भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों” (3:17) l

किस प्रकार हम अपने को अकल्पनीय हानि जैसे अस्वस्थता या बेरोजगारी, किसी प्रिय की मृत्यु, या एक प्राकृतिक आपदा का सामना करते हुए पाते हैं? हबक्कूक का“ कठिन समय का गीत” हमें परमेश्वर, जो आज, कल, और सर्वदा हमारे उद्धार का श्रोत (पद.18), सामर्थ्य, और स्थिरता (पद.19), उसमें निश्चित विश्वास और भरोसा रखने का आह्वान देता है l आखिर में, जो उसपर भरोसा करते हैं कभी निराश नहीं होंगे l

प्रोत्साहन की सामर्थ्य

बचपन में, बेंजामिन वेस्ट अपनी बहन की तस्वीर बनाने की कोशिश की, परन्तु तस्वीर बिगाड़ने में सफल हो गया l उसकी माँ ने उसकी रचना देखी, फिर उसके माथे को चूमकर बोली, “क्यों, यह तो सैली है!” वह बाद में कहनेवाला था कि उस चुम्बन ने उसे एक कलाकार बना दिया – और वह महान अमेरिकी चित्रकार बनने वाला था l प्रोत्साहन एक शक्तिशाल बात है!

पेंट करना सीखनेवाले बच्चे की तरह, पौलुस के पास उसकी आरंभिक सेवा में अधिक विश्वसनीयता नहीं थी, परन्तु बरनबास ने उसकी बुलाहट की पुष्टि की l यह बरनबास का प्रोत्साहन ही था जिसके कारण कलीसिया ने शाऊल को सहविश्वासी स्वीकार कर लिया (प्रेरितों 9:27) l बरनबास अन्ताकिया की मूल कलीसिया को भी प्रोत्साहित करके, उसे प्रेरितों के काम में एक सबसे प्रभावशाली कलीसिया बनने में सहायता की (11:22-23) l और बरनबास के साथ-साथ पौलुस का प्रोत्साहन ही था, जिससे यरूशलेम की कलीसिया ने गैरयहूदी विश्वासियों को मसीही के रूप में अपना लिया (15:19) l इसलिए, अनेक प्रकार से, आरंभिक कलीसिया की कहानी वास्तव में प्रोत्साहन की कहानी है l

यह हमारे जीवनों पर भी लागू होना चाहिए l हमारे विचार में प्रोत्साहन मात्र किसी को कुछ अच्छा कहना हो सकता है l परन्तु यदि हम उस दिशा में सोचते हैं, हम उसकी स्थायी शक्ति को पहचान नहीं पाते हैं l यह एक तरीका है जिससे परमेश्वर हमारे व्यक्तिगत जीवनों के साथ-साथ कलीसिया के जीवन को भी आकार देता है l

हम उन क्षणों के लिए धन्यवाद दें जब हम प्रोत्साहित किये गए और इसे दूसरों तक पहुंचाने की कोशिश करें l