डेव अपने काम का आनंद लेता था, परन्तु काफी समय से वह कुछ और के प्रति खिंचाव महसूस कर रहा था l अब वह मिशन के कार्य में कदम रखकर अपने सपने को पूरा करना चाहता था l परन्तु, उसे असाधारण रूप से गंभीर शंका होने लगी थी l
उसने अपने एक मित्र से कहा, “मैं इसके योग्य नहीं हूँ l मिशन बोर्ड मेरी वास्तविकता को नहीं जानती है l मैं बहुत अच्छा नहीं हूँ l”
डेव की संगति काफी अच्छी है l मूसा का नाम लीजिए और हम अगुवाई, सामर्थ्य, और दस आज्ञा के विषय सोचते हैं l हम भूल जाते हैं कि एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद मूसा मरुभूमि में भाग गया था l हम भगोड़े के रूप में उसके चालीस वर्षों को नहीं देखते l हम उसके क्रोधित होने की समस्या और परमेश्वर को हाँ कहने की उसकी तीव्र हिचकिचाहट को नज़रअंदाज़ करते हैं l
जब परमेश्वर ने आगे बढ़ने के आदेश के साथ आह्वान किया (निर्गमन 3:1-10), मूसा ने मैं-बहुत-अच्छा-नहीं-हूँ वाला पत्ता फेंका l वह परमेश्वर के साथ एक लम्बा तर्क-वितर्क भी किया, और उससे पूछा : “मैं कौन हूँ?” (पद.11) l उसके बाद परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह कौन था : “मैं जो हूँ सो हूँ” (निर्गमन 3:14) l हमारे लिए उस रहस्यमय नाम को समझाना असंभव है क्योंकि हमारा अवर्णनीय परमेश्वर मूसा को अपनी अनंत उपस्थिति बता रहा रहा है l
अपनी निर्बलता को समझना स्वास्थ्यप्रद है l परन्तु यदि हम परमेश्वर को हमें उपयोग करने से रोकने के लिए उसको एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं हम उसका अपमान करते हैं l परमेश्वर बहुत अच्छा नहीं है, यही हम वास्तव में कहना चाह रहे हैं l
प्रश्न यह नहीं कि हम कौन हैं? प्रश्न यह है कि मैं हूँ कौन है?
अनंत परमेश्वर, अक्सर हम शक करते हैं कि आप हमारे जैसे लोगों का कभी उपयोग करेंगे l परन्तु आपने हमारे जैसे लोगों के लिए अपने पुत्र को मरने के लिए भेजा, इसलिए हमारे शकों को क्षमा करें l आप जो चुनौतियां हमारे मार्ग में लाते हैं उनको स्वीकार करने में हमारी सहायता करें l