जब केरी और पॉल का विवाह हुआ, दोनों में से कोई भी भोजन पकाना नहीं जानता था l परन्तु एक रात केरी ने स्पगेटी बनाने कोशिश की – इतनी अधिक मात्रा में बना दी कि उस जोड़े ने अगले दिन फिर उसे रात के भोजन में उसे खाया l तीसरे दिन, पॉल ने भोजन बनाने की पेशकश की, और आशा करते हुए कि पास्ता और सॉस सप्ताहांत तक चलेगा दूना मात्र में बना डाला l हालाँकि, जब वे दोनों उस रात को भोजन करने बैठे, केरी ने स्वीकार किया, “स्पेगेटी से मेरा जी ऊब गया है l”

इस्राएलियों की तरह एक ही भोजन खाने की कल्पना करें – चालीस वर्षों तक l प्रत्येक सुबह  वे लोग मीठा “सुपर भोजन” बटोरते थे परमेश्वर जिसका प्रबंध करता था और उसे पकाता भी था (कुछ भी बचता नहीं था यदि अगला दिन सबत नहीं है, निर्गमन 16:23-26) l ओह, अवश्य, वे रचनात्मक हो गए – उसे सेंक लेते और उबाल लेते थे (पद.23) l परन्तु, ओह, उन्होंने मिस्र में जिन भोजन वस्तुओं का आनंद लिया था उसकी कमी महसूस कर रहे थे (पद.3; गिनती 11:1-9), यद्यपि क्रूरता और दासत्व की ऊँची कीमत पर वह पोषण उन्हें मिलता था!

हम भी कभी-कभी कुढ़ते हैं कि अब जीवन वैसा नहीं है जैसा कभी हुआ करता था l या शायद जीवन की वह “एकरूपता” हमारे असंतुष्ट होने का कारण है l परन्तु निर्गमन 16 इस्राएलियों के प्रति परमेश्वर का विश्वासयोग्य प्रबंध बताते हुए उनको हर दिन उसपर भरोसा करने और उसकी देखभाल पर निर्भर रहना सिखाता है l

परमेश्वर हमारी सभी ज़रूरतें पूरी करने की प्रतिज्ञा करता है l वह हमारी इच्छाएँ पूरी करता है और “उत्तम पदार्थों” से हमारी आत्मा को भर देता है (भजन 107:9) l