मध्य विद्यालय में, मेरे पास एक “कभी-कभी” सहेली थी l हम दोनों हमारी छोटी कलीसिया में “घनिष्ठ मित्र” थे (जहाँ मैं उसकी उम्र की एक ही लड़की थी), और हम कभी-कभी स्कूल के बाहर एक साथ रहते थे l लेकिन स्कूल में यह एक अलग कहानी थी l अगर वह मुझसे खुद मिलती थी, तो हेलो कह सकती थी; लेकिन केवल अगर कोई और आसपास नहीं होता था l यह महसूस करते हुए, मैंने शायद ही कभी स्कूल की दीवारों के भीतर उसका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की l मुझे हमारी मित्रता की सीमा पता थी l

शायद हम सभी ने एकतरफा या संकीर्ण मित्रता के दर्द का अनुभव किया है l लेकिन एक और तरह की मित्रता है – एक जो सभी सीमाओं से परे फैली हुयी है l यह सादृश्य स्वभाव वालों के साथ हमारी मित्रता है जो हमारे साथ जीवन की यात्रा को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं l

दाऊद और योनातान इसी प्रकार के मित्र थे l योनातान दाऊद के साथ “आत्मा में एक” था और उसे “अपने प्राण के समान प्यार करता था” (1 शमूएल 18:1-3) l हालाँकि, योनातान अपने पिता शाऊल की मृत्यु के बाद शासन करने के लिए कतार में था, वह परमेश्वर के चुने हुए प्रतिस्थापन दाऊद के प्रति वफादार था l योनातान ने शाऊल द्वारा दाऊद की हत्या करने के दो षड्यंत्रों से बच निकलने में उसकी मदद की थी (19:1-6; 20:1-42) l

सभी बाधाओं के बावजूद, योनातान और दाऊद मित्र बने रहे – जो नीतिवचन 17:17 की सच्चाई की ओर इशारा करता है : “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है l” उनकी विश्वासयोग्य मित्रता हमें प्यार भरे रिश्ते की झलक देती है जो परमेश्वर हमारे साथ रखता है (युहन्ना 3:16; 15:15) l उनकी तरह की मित्रता के द्वारा, परमेश्वर के प्यार के बारे में हमारी समझ गहरी हो जाती है l