यद्यपि लेनोर डनलप चौरानवे वर्ष की युवा थी, उसका मस्तिष्क तेज़, उसकी मुस्कराहट उज्जवल, और यीशु के लिए उसके संक्रामक प्रेम को बहुतों ने महसूस किया था l हमारे चर्च के युवाओं की संगती में उसे खोजना असामान्य नहीं था; उसकी उपस्थिति और भागीदारी ख़ुशी और प्रोत्साहन के श्रोत थे l लेनोर का जीवन इतना जीवंत था कि उसकी मृत्यु ने हमारी असावधानी में हमें पकड़ लिया l एक शक्तिशाली धावक की तरह, वह जीवन भर समापन रेखा पर छाई रही l उसकी ऊर्जा और उसका उत्साह ऐसा था कि, अपनी मृत्यु के कुछ ही दिन पहले, उसने सोलह सप्ताह का एक पाठ्यक्रम पूरा क्या था, जिसमें यीशु के सन्देश को दुनिया के लोगों तक ले जाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया था l

लेनोर का फलदायी, परमेश्वर को आदर देनेवाला जीवन भजन 92:12-15 में वर्णित जीवन को दर्शाता है l यह भजन उन लोगों के नवोदित, प्रस्फुटित और फलदायी जीवन होने का वर्णन करता है, जिनका जीवन परमेश्वर के साथ एक सही संबंद में निहित (पद.12-13) l चित्रित किये गए दो पेड़ क्रमशः अपने फल और लकड़ी के लिए मूल्यवान थे; इनके साथ भजनकार जीवन शक्ति, समृद्धि और उपयोगिता की भावना को अधिकार में कर लेता है l जब हम प्रेम करने, साझा करने, मदद करने, और दूसरों को मसीह के पास लाने में अपने जीवन को उदीयमान् और फूलते हुए देखते हैं हमें आनंदित होना चाहिए l

यहाँ तक कि उन लोगों के लिए भी जिन्हें हम “वरिष्ठ” या “अनुभवी” मानते हैं, जड़वत और फलदायी होने में विलम्ब कभी नहीं होता है l लेनोर का जीवन यीशु के द्वारा परमेश्वर में गहराई से जड़वत था और इसकी और परमेश्वर की भलाई की गवाही देता है (पद.15) l हमारा जीवन भी ऐसा हो सकता है l