मैं घोर अँधकार में जागी l मैं तीस मिनट से अधिक नहीं सो पायी थी और मेरे दिल को अहसास हुआ कि नींद जल्दी नहीं आएगी l एक सहेली का पति हॉस्पिटल में पड़ा था, जिसे भयानक खबर मिली थी, “कैंसर वापस आ गया है – मस्तिष्क और अब रीढ़ में l” मेरी सहेली के लिए मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व दुखित था l कितना भारी बोझ है! और फिर भी, किसी प्रकार प्रार्थना की मेरी पवित्र चौकसी द्वारा मेरी आत्मा उभारी गयी l आप कह सकते हैं कि मैंने खूबसूरती से उनके लिए बोझ महसूस किया l यह कैसे हो सकता है?

मत्ती 11:2-20 में, यीशु हमारी थकी हुयी आत्माओं के लिए आराम देने की प्रतिज्ञा करता है l असाधारण रूप से, उसका विश्राम तब मिलता है जब हम उसके जूए के नीच झुकते हैं और उसके बोझ को ग्रहण करते हैं l पद 30 में वह स्पष्ट करता है, “मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है l” जब हम यीशु को अपनी पीठ से अपना बोझ उठाने की अनुमति देते हैं और फिर अपने आप को यीशु के जूए से बांधते हैं, तब हम उसके साथ जोते जाकर, उसके साथ और जिसकी भी वह अनुमति देता है के साथ कदम मिलाकर चलते हैं l जब हम उसके जूए के नीचे झुकते हैं, हम उसके कष्टों में हिस्सा लेते हैं, जो आख़िरकार हमें उसके आराम में भी हिस्सा लेने की अनुमति देता है (2 कुरिन्थियों 1:5) l

मेरे मित्रों के लिए मेरी चिंता एक भारी बोझ थी l फिर भी मुझे यह आभारी लगा कि परमेश्वर मुझे प्रार्थना में ले जाने अनुमति देंगे l धीरे-धीरे मैं सो गयी और जागी भी – फिर भी खूबसूरती से बोझिल थी लेकिन अब यीशु के साथ चलने के आसान जूए और हलके बोझ के तहत l