लेखक हेनरी नावेन रूस के सैंट पीटर्सबर्ग के एक संग्रहालय में अपनी यात्रा को याद करते हैं, जहाँ उन्होंने उड़ाऊ पुत्र के रेम्ब्रांट के चित्रण पर चिंतन करते हुए घंटों बिताए l जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, पास की खिड़की से प्राकृतिक प्रकाश में बदलाव ने नोवें को इस धारणा के साथ छोड़ दिया कि वह कई अलग-अलग चित्रों को देख रहा था जैसे कि प्रकाश के परिवर्तन थे l प्रत्येक एक टूटे हुए बेटे के लिए एक पिता के प्यार के बारे में कुछ बताने की कोशिश कर रहा था l

नोवेन का वर्णन है कि कैसे लगभग चार बजे, पेंटिंग में तीन आकृतियाँ “आगे की ओर” उभर आयीं l पहला बड़ा बेटा था, जिसने अपने पिता की इच्छा में उड़ाऊ छोटे भाई की राजसी वापसी को नापसंद किया l आख़िरकार, क्या उसने परिवार के धन के एक बड़े हिस्से को व्यर्थ खर्च करके, उनके लिए पीड़ा और शर्मिन्दिगी नहीं था? (लूका 15:28-30) l

अन्य दो आकृतियों ने नोवें को उन धार्मिक अगुओं की याद दिलाई जो यीशु के बताए हुए दृष्टान्त में मौजूद थे l वे लोग थे जो पापियों के बारे में पृष्ठभूमि में बुदबुदाते थे जिन्हें यीशु आकर्षित कर रहा था (पद.1-2) l

नोवेन ने खुद को उन सभी में देखा – अपने सबसे छोटे बेटे के बर्बाद जीवन में, बड़े भाई और धार्मिक नेताओं की निंदा करने में, और एक पिता के दिल में जो किसी के लिए और सभी के लिए काफी बड़ा है l

हमारे बारे में क्या है? क्या हम खुद को रेब्रांत की पेंटिंग में कहीं भी देख सकते हैं? किसी तरह, यीशु द्वारा बतायी गयी हर कहानी हमारे बारे में है l