जब प्रसिद्द संगीतकार गुइसेप्पी वर्डी (1813-1901) युवा थे, तो अनुमोदन की भूख ने उन्हें सफलता की ओर खींचा l वोरेन विएर्स्बी ने उनके बारे में लिखा : “जब वर्डी ने फ्लोरेंस में अपना पहला opera(संगीत-नाटक) तैयार किया, तो संगीतकार खुद अँधेरे में खड़े थे और दर्शकों में एक आदमी के चेहरे पर अपनी नज़र गड़ाए रखे थे – महान रोस्सिनी l यह वर्डी के लिए मायने नहीं रखता था कि हॉल के लोग उसकी तारीफ कर रहे थे या उसका मज़ाक बना रहे थे; वह केवल मास्टर संगीतकार की मंजूरी की मुस्कान का अनुमोदन चाहते थे l”

हम किसका अनुमोदन चाहते हैं? माता-पिता का? मालिक/बॉस का? प्रेम रूचि का? पौलुस के लिए, केवल एक ही उत्तर था l उसने लिखा, “जैसा परमेश्वर ने हमें योग्य ठहराकर सुसमाचार सौंपा, हम वैसा ही वर्णन करते हैं, और इस में मनुष्यों को नहीं, परन्तु परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जांचता है, प्रसन्न करते हैं” (1 थिस्सलुनीकियों 2:4) l

परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त करने का क्या अर्थ है? कम से कम दो बातें शामिल हैं : दूसरों की वाहवाही की इच्छा से मुहं फेर लेना और उसकी आत्मा को हमें मसीह की तरह बनाने की अनुमति देना – वह जो हमें प्रेम करता था और हमारे लिए खुद को दे दिया l जब हम अपने भीतर और हमारे द्वारा उसके सिद्ध उद्देश्यों के प्रति समर्पित होते हैं, हम एक दिन की बाट जोह सकते हैं जब हम उसके अनुमोदन की मुस्कान का अनुभव करेंगे – जो सबसे अधिक मायने रखता है l