एक विशाल सिह्हासन कक्ष की लाल्पना करें l सिंहासन पर बैठा हुआ एक महान रजा है l वह सभी प्रकार के परिचारकों से घिरा हुआ है, और प्रत्येक अपने सर्वोत्तम व्यवहार के साथ है l अब एक ऐसे बॉक्स/डिब्बे की कल्पना करें जो राजा के पाँवों के पास है l समय-समय पर राजा नीचे झुककर उस डिब्बे की सामग्री को अपने हाथों से टटोलता है l और डिब्बे में क्या है? मणि, सोना और रत्न विशेषकर राजा की रुचि अनुसार l इस बॉक्स में राजा का खज़ाना है, एक संग्रह जो उसे बहुत ख़ुशी देती है l क्या आप उस छवि को अपने मन की आँखों में देख सकते हैं?
इस खजाने के लिए इब्री शब्द सेगुलाह(segulah) है, और इसका अर्थ है “विशेष संपत्ति l” यह शब्द पुराने नियम के निर्गमन 19:5; व्यवस्थाविवरण 7:6, और भजन 135:4 में मिलता है, जहाँ यह इस्राएल राष्ट्र का सन्दर्भ देता है l किन्तु वही शब्द चित्र नए नियम में प्रेरित पतरस के कलम द्वारा लिखा गया है l वह “परमेश्वर की प्रजा” का वर्णन कर रहा है, जिन पर “दया हुयी है” (पद.10), जो इस्राएल राष्ट्र के अलावा एक संग्रह है l दूसरे शब्दों में, वह उन लोगों के बारे में बात कर रहा है जो यीशु पर विश्वास करते हैं, यहूदी और गैरयहूदी दोनों l और वह लिखता है, “पर तुम . . . (परमेश्वर की) निज प्रजा हो” (पद.9) l
कल्पना करें! स्वर्ग का महान और शक्तिशाली राजा आपको अपने विशेष खज़ाना में शामिल किया है l उसने आपको पाप और मृत्यु की पकड़ से बचाया है l वह आपको अपना मानता है l राजा के शब्द है, “यह मुझे पसंद है l यह मेरा है l”
स्वर्ग के श्रेष्ठ राजा, मेरी पहचान पूरी रीति से आप में पायी जाती है, और आप मुझे अपना विशेष खज़ाना मानते हैं l मुझे पता है कि यह मेरे द्वारा किए गए किसी भी चीज के कारण नहीं है, बल्कि आप जो कुछ भी हैं, उसके कारण है l