कलाकार डौग मर्के की उत्कृष्ट मूर्तिकला रुथलेस ट्रस्ट(Ruthless Trust) में एक कांस्य मानव आकृति अति मायूसी से अखरोट की लकड़ी के बने क्रूस से लिपटा हुआ है l वह लिखता है, “यह जीवन के लिए हमारे निरंतर और उचित आसन की एक बहुत ही सरल अभिव्यक्ति है – मसीह और सुसमाचार के साथ और उनके ऊपर सम्पूर्ण, बंधनमुक्त अंतरंगता l”

हम इस प्रकार का भरोसा मरकुस 5:25-34 में अनाम स्त्री की क्रिया और शब्दों में व्यक्त होते देखते हैं l बारह वर्षों तक उसका जीवन जर्जर अवस्था में रहा (पद.25) l “उसने बहुत वैद्यों से बड़ा दुःख उठाया, और अपना सब माल व्यय करने पर भी उसे कुछ लाभ न हुआ था, परन्तु और भी रोगी हो गयी थी” (पद.26) l लेकिन यीशु के विषय सुनकर उसने उसके निकट पहुँचने का मार्ग बना लिया, और उसे स्पर्श किया, और अपनी “बीमारी से मुक्त” हो गयी (पद.27-29) l

क्या आप अपने आप के अंत तक पहुँच गए हैं? क्या आपने अपने सभी संसाधनों को ख़त्म कर दिया है? चिंताग्रस्त, निराश, खोए हुए, परेशान लोगों को हताश होने की ज़रूरत नहीं है l प्रभु यीशु आज भी मायूस लोगों के विश्वास का प्रत्युतर देता है – जिस प्रकार इस पीड़ित स्त्री द्वारा दर्शाया गया और मर्के की मूर्तिकला में चित्रांकित किया गया l इस प्रकार का विश्वास गीत लेखक चार्ल्स वेस्ली के शब्दों में दर्शाया गया है : “पिता मैं हाथ बढ़ाता हूँ, मुझे तू थामे रह, सहायक दूसरा है नहीं l” उस प्रकार का विश्वास नहीं है? परमेश्वर से उस पर भरोसा करने के लिए मदद मांगे l वेस्ली अपने गीत को एक प्रार्थना से समाप्त करता है : “विश्वास के कर्ता, मैं अपनी थकी, लालसा से भरी आँखें उठता हूँ; काश मैं उस उपहार को प्राप्त कर सकूँ! मेरी आत्मा उसके बिना मर जाएगी l”