जब मेरे पति डैन को कैंसर का पता चला, मैं परमेश्वर से उन्हें चंगा करने के लिए आग्रह करने का “सही” तरीका नहीं खोज पाई l मेरे सीमित दृष्टि में, संसार में अन्य लोगों के पास भी ऐसी गंभीर समस्याएँ थी – युद्ध, अकाल, गरीबी, प्राकृतिक आपदाएं l तब एक दिन, हमारे प्रातःकाल की प्रार्थना में, मैंने अपने पति को दीनता से आग्रह करते सुना, “प्रिय प्रभु, कृपया मेरी बीमारी को ठीक कर दें l”

यह अत्यंत सरल परन्तु हृदय को छू जानेवाला अनुनय था कि उसने मुझे हर प्रार्थना अनुरोध को जटिल करने से रोकने के लिए याद दिलाया, क्योंकि परमेश्वर सहायता के लिए हमारे ईमानदार पुकार को पूरी तौर से सुनता है l जैसे दाऊद ने सरलता से पूछा, “लौट आ, हे यहोवा, और मेरे प्राण बचा; अपनी करुणा के निमित्त मेरा उद्धार कर” (भजन 6:4) l

यह वही है जो दाऊद ने आध्यात्मिक भ्रम और निराशा के समय में घोषित किया था l इस भजन में उसकी वास्तविक स्थिति को नहीं समझाया गया है l हालाँकि, उनकी ईमानदार दलीलें, परमेश्वर की मदद और बहाली की गहरी इच्छा दिखाती हैं l उसने लिखा, “मैं कराहते कराहते थक गया” (पद.6) l

फिर भी, पाप के साथ-साथ, दाऊद ने अपनी मर्यादा को नहीं छोड़ा, और यह उसे अपनी ज़रूरत के साथ परमेश्वर के पास जाने से रोक न सकी l इस प्रकार, परमेश्वर के उत्तर देने से पहले ही, दाऊद आनंदित हो गया, “यहोवा ने मेरे रोने का शब्द सुन लिया है . . . यहोवा मेरे प्रार्थना को ग्रहण भी करेगा” (पद.8-9) l

हमारे अपने भ्रम और अनिश्चितता के बावजूद, परमेश्वर अपने बच्चों की ईमानदार दलीलों को सुनता है और स्वीकार करता है l वह हमें सुनने के लिए तैयार है, खासकर जब हमें उसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है l