मैं अपनी कार में घुस रहा था जब उस चमक ने मेरा ध्यान आकर्षित किया : एक कील, मेरी कार की पिछली टायर के बगल वाले हिस्से में गड़ा हुआ था l मुझे संकेतक के रूप में हवा की सीटी नुमा आवाज़ सुनाई पड़ी l शुक्र है, छेद बंद हो गया – कम से कम थोड़े समय के लिए l

जब मैं एक टायर की दूकान पर पहुँचा, मैंने सोचा : कितने समय से वह कील वहाँ पर है? कुछ दिनों से? कुछ सप्ताहों से? कितने समय से मैं एक खतरे से बचाया गया हूँ जो मैं नहीं जानता था कि वह वहाँ मौजूद है?

हम कभी-कभी इस भ्रम में रह सकते हैं कि हम नियंत्रण में हैं l लेकिन उस कील ने मुझे याद दिलाया कि हम नियंत्रण में नहीं है l

लेकिन जब जीवन नियंत्रण से बाहर हो जाता है और अस्थिर होता है, तो हमारे पास एक परमेश्वर है जिसकी विश्वसनीयता पर हम भरोसा कर सकते हैं l भजन 18 में, दाऊद ने परमेश्वर की प्रशंसा करता है जो उसका ध्यान रखता है (पद.34-35) l दाऊद कबूल करता है, “यह वही ईश्वर है, जो सामर्थ से मेरा कटिबंध बांधता है . . . तू ने मेरे पैरों के लिए स्थान चौड़ा कर दिया, और मेरे पैर नहीं फिसले” (पद.32, 36) l इस प्रशंसा के काव्य में, दाऊद परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति (पद.35) मानता है l   

मैं व्यक्तिगत रूप से दाऊद की तरह युद्ध में मेल नहीं खाता हूँ; मैं जोखिम नहीं उठाने के लिए अनावश्यक परिश्रम भी करता हूँ l फिर भी, मेरा जीवन अक्सर अव्यवस्थित रहता है l

लेकिन मैं इस ज्ञान में विश्राम कर सकता हूँ कि, यद्यपि परमेश्वर हमें जीवन की सभी कठियाइयों से सुरक्षा का वादा नहीं करता है, वह हमेशा जानता है कि मैं कहाँ हूँ l वह जानता है कि मैं कहाँ जा रहा हूँ और मेरा सामना किस से होगा l और वह सभी बातों पर प्रभु है – हमारे जीवनों के “कीलों” पर भी l