1944 की क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, “ओल्ड ब्रिन्कर नाम का एक व्यक्ति जेल के एक हॉस्पिटल में मरणासन्न अवस्था में पड़ा हुआ, अपने सह बंदियों के नेतृत्व में क्रिसमस सभा के अस्थायी इंतजाम का इंतज़ार कर रहा था l “संगीत कब शुरू होने वाला है?” उसने विलियम मैक्डोगल से पूछा, जो उसके साथ सुमात्रा के मुन्टोक जेल में कैद था l “शीघ्र,” मैक्डोगल ने उत्तर दिया l “अच्छा,” मरते हुए व्यक्ति ने जवाब दिया l “फिर मैं उनकी तुलना स्वर्गदूतों से कर पाऊंगा l”

यद्यपि दशकों पहले ब्रिन्कर परमेश्वर में अपने विशवास से दूर चला गया था, अपने मरने के दिनों में उसने अपने पापों को स्वीकार किया और उसके साथ शांति पायी l मैक्डोगल ने कहा, “अप्रिय रुख के साथ दूसरों का अभिवादन करने के बजाय, वह मुस्कुराता था, जो “बढ़िया रूपांतरण था l”

ग्यारह दुर्बल कैदियों के द्वारा उसके अनुरोध पर, “पावन रैन” के गायन के बाद, ब्रिन्कर की शांति से मृत्यु हो गई l यह जानकार कि ब्रिन्कर ने एक बार फिर यीशु का अनुसरण किया और स्वर्ग में परमेश्वर के साथ संयुक्त हो जाएंगे, मैक्डोगल ने ध्यान दिया, “ शायद मृत्यु ओल्ड ब्रिन्कर के लिए एक स्वागत योग्य क्रिसमस आगंतुक थी l”

ब्रिन्कर ने अपनी मृत्यु का पूर्वानुमान कैसे लगाया, यह मुझे शमौन की याद दिलाता है, एक पवित्र व्यक्ति जिसे पवित्र आत्मा द्वारा उस पर प्रगट हुआ था कि “जब तक वह प्रभु के मसीह को देख न लेगा, तब तक मृत्यु को न देखेगा” (लूका 2:26) l जब शमौन ने यीशु को मंदिर में देखा, तो उसने कहा, “अब तू अपने दास को . . . शांति से विदा करता है l क्योंकि मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख लिया है” (पद.29-30) l

जैसा कि ब्रिन्कर के साथ हुआ, सबसे बड़ा क्रिसमस उपहार जो हम प्राप्त कर सकते हैं या साझा कर सकते, वह यीशु में बचाने वाला उद्धार है l