“मैं तुम्हारे लिए एक एक उपहार लाया हूँ!” मेरे दो वर्ष के पोते ने मेरे हाथों में एक बॉक्स रखते हुए उत्साह से चिल्लाया l “मेरी पत्नी मुस्कराती हुयी बोली, “उसने इसे खुद से चुना है l”
मैंने बॉक्स को खोलकर पाया कि उसमें उसके प्रिय कार्टून चरित्र की क्रिसमस सजावट है l “क्या मैं देख सकता हूँ?” उसने उत्सुकता से पूछा l फिर वह शाम के बाकी समय में “मेरे” उपहार के साथ खेलता रहा, और मैं उसको देखकर मुस्कुराता रहा l
मैं मुस्कुराया क्योंकि मैंने याद किया कि मैंने अपने प्रियों को अतीत में उपहार दिए थे, जैसे कि संगीत एल्बम जो मैंने अपने बड़े भाई को एक क्रिसमस में दिया था जब मैं हाई स्कूल में था क्योंकि मैं वास्तव में चाहता था (और दिया भी) l और मैंने महसूस किया कि कैसे बर्षों बाद परमेश्वर अभी भी मुझे खींच रहा था और मुझे और अधिक निःस्वार्थ रूप से देना सिखा रहा था l
देना एक ऐसी बात है जिसमें हम उन्नति करते हैं l पौलुस ने लिखा, “इसलिए जैसे तुम हर बात में . . . बढ़ते जाते हो, वैसे ही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ” (2 कुरिन्थियों 8:7) l अनुग्रह हमारे देने को भर देता है जैसा कि हम समझते हैं कि जो कुछ हमारे पास है वह परमेश्वर की ओर से है, और उसने हमें दिखाया है कि “लेने से देना धन्य है” (प्रेरितों 20:35) l
परमेश्वर ने उदारता से हमें सबसे निःस्वार्थ उपहार दिया : उसका एकलौता पुत्र, जो हमारे पापों के लिए मर कर जीवित होनेवाला था l जो इस परम उपहार को प्राप्त करता है, वह माप से परे समृद्ध होता है l जब कि हमारे हृदय उस पर केन्द्रित हैं, हमारे हाथ दूसरों के लिए प्यार में खुलते हैं l
हे पिता, मुझे सबसे अच्छा उपहार देने के लिए आपको धन्यवाद : आपका पुत्र! आज आपकी उदारता को दूसरों के साथ साझा करने में मेरी मदद कर l