हर शरद् ऋतु में, जब पेंटेड कछुआ(Painted Turtle – एक प्रजाति का कछुआ) को सर्दी आने का अहसास होता है, वह अपने आप को मिट्टी और कीचड़ में दफ़न करते हुए तालाब की तलहटी में पहुँचा देती है l वह अपने कवच में सिमट जाती है और शांत हो जाती है : उसकी हृदय गति धीमी हो जाती है l उसके शरीर का तापमान गिरता है, जमाव बिंदु से ठीक ऊपर रहता है l वह साँस लेना बंद कर देती है, और इंतज़ार करती है l छह महीने तक, वह दफ़न रहती है, और उसका शरीर उसकी हड्डियों से कैल्शियम को उसके रक्तप्रवाह में छोड़ता है, जिससे वह धीरे-धीरे अपने आकार को भी खोने लगती है l 

लेकिन जब तालाब का बर्फ पिघलेगा, वह फिर से तैरेगी और साँस लेगी l उसकी हड्डियों में सुधार होगा, और वह अपने कवच पर सूरज की गर्मी महसूस करेगी l 

जब मैं परमेश्वर के इंतज़ार के बारे में भजनकार के विवरण को पढ़ती हूँ, तो मैं पेंटेड कछुआ के विषय सोचती हूँ l भजनकार “दलदल” की “कीच” में पड़ा है, परन्तु परमेश्वर उसकी सुनता है (भजन 40:2) l परमेश्वर उसे बाहर निकालता है, और उसे खड़े होने के लिए एक दृढ़ स्थान देता है l वह गाता है, परमेश्वर “मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है” (पद.17) l 

शायद ऐसा महसूस होता है कि आप सदा से कुछ चीज़ के बदलने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं – अपनी जीविका में एक नयी दिशा के लिए, एक रिश्ते को बहाल करने के लिए, एक बुरी आदत को तोड़ने के लिए इच्छाशक्ति के लिए, या एक कठिन परिस्थिति से छुटकारे के लिए l पेंटेड कछुआ और भजनकार हमें परमेश्वर में भरोसा करने के लिए याद दिलाने के लिए यहाँ हैं : वह सुनता है, और वह छुटकारा करेगा l