अफ़्रीकी देश जिम्बाव्वे में, युद्ध आघात और अत्यधिक बेरोजगारी लोगों को निराशा में छोड़ सकती है – जब तक कि उन्हें “मित्रता बेंच-Friendship Bench” पर आशा नहीं मिलती है l आशाहीन लोग प्रशिक्षित “दादी” – वृद्ध महिलाएँ जिन्हें अवसाद से संघर्षरत लोगों से बात करने के लिए सिखाया गया है, के पास जाकर बात कर सकते हैं, जिसे उस देश के शोना भाषा में कुफंगिसिसा-kufungisisa, या “बहुत अधिक सोच रहे हैं” के रूप में जाना जाता है l
जांजीबार, लन्दन, और न्यू यॉर्क शहर सहित अन्य स्थानों में फ्रेंडशिप बेंच प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है l लन्दन के एक शोधकर्ता ने कहा, “हम परिणामों से रोमांचित थे l” न्यू यॉर्क के एक परामर्शदाता ने सहमति व्यक्त की l “इससे पहले कि आप जाने, आप किसी बेंच पर नहीं हैं, आप किसी ऐसे व्यक्ति से गर्मजोशी से बातचीत कर रहे हैं जो परवाह करता है l
यह परियोजना हमारे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के साथ बात करने की गर्मजोशी और आश्चर्य को उजागर करती है l मूसा ने परमेश्वर के साथ बातचीत करने के लिए एक बेंच नहीं बल्कि एक तम्बू खड़ा किया, जिसे उसने मिलाप का तम्बू कहा l वहाँ, “यहोवा मूसा से इस प्रकार आमने-सामने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने भाई से बातें [करता है]” (निर्गमन 33:11) l उसका सहायक, यहोशु, तम्बू में से निकलता भी न था, शायद इसलिए कि वह परमेश्वर के साथ अपने समय को महत्त्व देता था (पद.11) l
आज हमें मिलाप के तम्बू की ज़रूरत नहीं है l यीशु ने पिता को निकट लाया है l जैसा कि उसने अपने शिष्यों से कहा, “मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मै ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं” (युहन्ना 15:15) l हाँ, हमारा परमेश्वर हमारा इंतज़ार करता है l वह हमारे दिल का सबसे बुद्धिमान सहायक, हमारा समझनेवाला मित्र है l अभी उससे बातें करें l
कौन सी चिंताएं आज आपके विचारों को भस्म करती हैं? जब आप इन चिंताओं के विषय परमेश्वर से बात करते हैं, आप उसके(परमेश्वर) बारे में कौन से अच्छे विचार पर केन्द्रित हो सकते हैं?