अपने पहले जीवनसाथी के दुखद मृत्यु के कुछ साल बाद, राहुल और समीरा ने शादी कर ली और अपने दोनों परिवारों को मिला लिया l उन्होंने एक नया घर बनाया और उसका नाम हविला रखा (एक इब्री शब्द जिसका अर्थ है “दर्द में छटपटाना” और “उत्पन्न करना”) l यह दर्द के द्वारा कुछ सुन्दर बनाने का संकेत देता है l इस दंपति का कहना है कि उन्होंने अपने अतीत को भूलने के लिए घर नहीं बनाया, लेकिन “राख से जीवन उत्पन्न करने के लिए, आशा का उत्सव मनाने के लिए l” उनके लिए, “यह अपनापन का स्थान है, जीवन को मनाने की जगह है और जहाँ हम सभी भविष्य के वादे से जुड़ते हैं l”

यह यीशु में हमारे जीवन की एक सुन्दर तस्वीर है l वह हमारे जीवनों को राख से बाहर निकालता है और हमारे लिए अपनापन का स्थान बन जाता है l जब हम उसे ग्रहण करते हैं, तो वह हमारे दिलों में अपना घर बनाता है (इफिसियों 3:17) l परमेश्वर हमें यीशु के द्वारा अपने परिवार में अपनाता है ताकि हम उससे सम्बद्ध हो जाएँ (1:5-6) l यद्यपि हम पीड़ादायक समय से गुज़रते हैं, वह हमारे जीवनों में अच्छे उद्देश्यों को लाने के लिए भी उपयोग करता है l 

हमारे पास प्रतिदिन परमेश्वर की समझ में बढ़ने का अवसर है जब हम उसके प्रेम का आनंद लेते हैं और उसके प्रावधानों का आनंद लेते हैं l उसी में, जीवन की पूर्णता है जिसे हमें  उसके बिना (3:19) नहीं मिल सकती थी l और हमारे पास उसका वादा है कि यह सम्बन्ध हमेशा के लिए रहेगा l यीशु हमारा अपनापन का स्थान है, हमारे जीवन का उत्सव मनाने का कारण है, और हमेशा के लिए हमारी आशा l