एक युवती के रूप में, मैंने तीस साल की उम्र तक खुद को विवाहित और एक अच्छी नौकरी में रहने की कल्पना की – परन्तु ऐसा नहीं हुआ l मेरा भविष्य खाली होकर मेरे सामने मुँह बाये था और अपने जीवन के साथ क्या करना है के विषय मैंने संघर्ष किया l अंत में मैंने दूसरों की सेवा करके उसकी सेवा करने का मार्गदर्शन महसूस किया और सेमिनरी में दाखिला ले ली l तब यह वास्तविकता सामने आई कि मुझे अपने घर, मित्रों और परिवार से दूर जाना होगा l परमेश्वर की बुलाहट का प्रत्युत्तर देने के लिए, मुझे निकलना पड़ा l
यीशु गलील के झील के निकट चल रहे थे जब उन्होंने पतरस और उसके भाई अन्द्रियास को जीविका के लिए झील में जाल डालते हुए देखा l उसने उनको आमंत्रित किया, “मेरे पीछे चले आओ, और मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा” (मत्ती 4:19) l तब यीशु ने दो और मछुआरों, याकूब और उसके भाई युहन्ना को देखा और उन्हें भी वही निमंत्रण दिया (पद.21) l
जब ये चेले यीशु के पास आए, उन्होंने भी कुछ छोड़ा l पतरस और अन्द्रियास ने अपने “जालों” को छोड़ा (पद.20) l याकूब और युहन्ना ने “नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए” (पद.22) l लूका ईसे इस तरह कहता है : “और वह नावों को किनारे पर ले आए और सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिए” (लूका 5:11) l
यीशु की प्रत्येक बुलाहट में किसी और चीज़ से अलग होने की बुलाहट भी शामिल होती है l जाल l नाव l पिता l मित्र l घर l परमेश्वर हम सभी को अपने साथ एक रिश्ते के लिए बुलाता है l फिर वह हम में से प्रत्येक को सेवा करने के लिए कहता है l
प्रेमी परमेश्वर, मुझे समझने में सहायता कर कि आपकी बुलाहट का प्रत्युत्तर देने के लिए मुझे क्या छोड़ने की ज़रूरत हो सकती है l