हवाई में,1997 के आयरनमैंन ट्रायथलॉन (एक ऐसा खेल जिसमें साइकिल चलाना, तैराकी और लम्बी दूरी दौड़ना शामिल है) में, दो महिलाएँ समापन रेखा तक पहुँचने के लिए लड़खड़ाते हुए संघर्ष करती रहीं l जब तक सियन वेल्च वेंडी इंग्राहम से टकराई नहीं, तब तक थकीं हुई, धाविकाएँ अपने डगमगाते पैरों पर डटी रहीं l दोनों ज़मीं पर गिर गयीं l खड़े होने के लिए संघर्ष करते हुए, वे आगे को लड़खड़ा गयीं, और समापन रेखा से लगभग बीस मीटर पहले फिर गिर पड़ीं l जब वेंडी अत्यंत धीमी गति से आगे बढ़ने लगी, तो भीड़ ने तालियाँ बजाईं l जब उसकी प्रतियोगी ने पीछा किया, तो उन्होंने जोर से शाबाशी दी l वेंडी ने चौथे स्थान पर समापन रेखा पार की, और वह अपने समर्थकों की खुली बाहों में गिरी l फिर वह मुड़कर अपनी गिरी हुयी बहन के पास पहुँचीं l सियन आगे की ओर झुककर, अपनी थकी हुए भुजा वेंडी के हाथों की ओर और समापन रेखा कि ओर बढ़ाया l जैसे ही उसने पांचवें स्थान पर दौड़ पूरी की, भीड़ ने ऊँची आवाज़ में उनको अनुमोदित किया l
इस जोड़े द्वारा 140 मील की दौड़ पूरी करने से बहुत लोग प्रेरित हुए l परन्तु थके प्रतियोगी के एक साथ धीरज से दौड़ने की छवि मेरे मन में अंकित है, और सभोपदेशक 4:9-11 में जीवन को समर्थ बनानेवाली सच्चाई को दृढ़ करता है l
जीवन में हम सभी को सहायता चाहिए इस बात को स्वीकार करने में कोई शर्म की बात नहीं है (पद.9), विशेषकर इसलिए कि हम ईमानदारी से अपनी आवश्यकताओं से इन्कार नहीं कर सकते हैं या सर्वज्ञानी परमेश्वर से उसे छिपा नहीं सकते हैं l एक समय या किसी अन्य समय पर, चाहे वह शारीरिक या भावनात्मक रूप से हो, हम सभी गिरते हैं l जब हम दृढ़ रहते हैं यह जानना कि हम अकेले नहीं हैं हमें आराम पहुंचाता है l जब हमारा स्वर्गिक पिता हमारी मदद करता है, वह हमें दूसरे ज़रुरतमंदों तक पहुँचने में समर्थ बनाते हुए, यह निश्चय देता है कि वे भी अकेले नहीं हैं l
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अपनी निरंतर उपस्थिति से हमें पुनः आश्वस्त करने के लिए धन्यवाद जब आप हमारी मदद करते हैं और दूसरों तक पहुँचने और उनकी मदद करने का अवसर देते हैं l