हमारे छोटे पोते ने अलविदा कहा, फिर एक प्रश्न के साथ लौटा l “दादी, आप बरामदा पर क्यों खड़ी हैं और जब तक हम चले नहीं जाते, तब तक आप देखती हैं l” बहुत छोटा होने के कारण उसका प्रश्न “अति सुन्दर” था और मैं मुस्कुरायी l हालाँकि, उसकी चिंता को देखते हुए, मैंने एक अच्छा जवाब देने की कोशिश की l “इसलिए कि, यह शिष्टाचार है,” मैंने उससे कहा l “यदि तुम मेरे अतिथि हो तो जब तक तुम चले नहीं जाते, देखना यह प्रगट करता है  कि मुझे तुम्हारी परवाह है l” उसने मेरे उत्तर को तौला, लेकिन उसके बाद भी हैरान दिखाई दिया l इसलिए, मैंने उसे सरल सत्य बता दिया l “मैं देखती हूँ,” मैंने कहा, “क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ l जब मैं तुम्हारे कार को दूर जाते हुए देखती हूँ, तो मैं जानती हूँ कि तुम सुरक्षित घर जा रहे हो l” वह मुस्कुराया, और कोमलता से मुझे प्यार किया l अंत में, वह समझ गया l 

उसकी बच्चे की सी समझ ने मुझे याद दिलाया कि हम सभी को क्या याद रखना चाहिए – कि हमारे स्वर्गिक पिता हम में से प्रत्येक, जो उसके अनमोल बच्चे हैं पर लगातार नज़र रखता है l जैसा कि भजन 121 कहता है, “यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है” (पद.5) l 

इस्राएल के तीर्थयात्रियों के लिए कितना सुन्दर आश्वासन है क्योंकि वे यरूशलेम में  आराधना करने के लिए जाते समय खतरनाक मार्गों पर चढ़कर जाते थे l “न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी l यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा” (पद.6-7) l इसी तरह, जैसा कि हम प्रत्येक अपने जीवन के मार्ग में आगे बढ़ते हैं, कभी-कभी आध्यात्मिक खतरा या नुक्सान का सामना करते हैं, “यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से लेकर सदा तक करता रहेगा” (पद.8) l