लीज़ शेफर्ड नामक एक प्रसिद्ध मूर्तिकार ने एक बार अपना कार्य प्रदर्शन-मंजूषा में रखा l वह उन अनमोल अंतिम क्षणों से प्रेरित थी जो उसने अपने पिता के साथ बिताए थे जो मृत्यु शय्या पर थे l इसने खालीपन और हानि को व्यक्त किया, एक भावना कि आपके प्रियजन पहुँच से बाहर हैं l 

यह विचार कि मृत्यु अनमोल है, सहजज्ञान के विपरीत प्रतीत हो सकती है; हालाँकि, भजनकार ने घोषणा कि, “यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है” (भजन 116:15) l परमेश्वर अपने लोगों की मृत्यु को संजोये रखता है, क्योंकि उनके गुज़र जाने पर वह उनका स्वागत घर में करता है l 

यह परमेश्वर के वफादार सेवक (“संत” NKJV) कौन हैं? भजनकार के अनुसार, ये वे लोग है जो उसके द्वारा छुटकारे के लिए परमेश्वर की सेवा धन्यवाद के साथ करते हैं, जो उसके नाम को पुकारते हैं, और अपनी मन्नतें प्रगट में उसकी सारी प्रजा के सामने [पूरी करते हैं] (भजन 116:16-18) l ऐसे कार्य परमेश्वर के साथ चलने, उसके द्वारा दी जानेवाली स्वतंत्रता को स्वीकार करने और उसके साथ सम्बन्ध बनाने के लिए जानबूझकर सोचा-समझा चुनाव का प्रतिनिधित्व करती हैं l 

ऐसा करने में, हम खुद को यीशु की संगति में पाते हैं, जो “परमेश्वर के निकट चुना हुआ और बहुमूल्य . . . है . . . इस कारण पवित्रशास्त्र में भी आया है : ‘देखो, मैं सिय्योन में कोने के सिरे का चुना हुआ और बहुमूल्य पत्थर धरता हूँ : और जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह किसी रीति से लज्जित नहीं होगा” (1 पतरस 2:4-6) l जब हमारा भरोसा परमेश्वर पर है, इस जीवन से हमारा प्रस्थान उसकी उपस्थिति में बहुमूल्य है l