
मृत्यु कतार आनंद
1985 में एंथोनी रे हिंटन पर दो रेस्तोरां प्रबंधकों की हत्या करने का आरोप लगाया गया था l यह एक बनायी हुयी बात थी – अपराध होने के समय वह मीलों दूर था – लेकिन उसे दोषी पाया गया और उसे मौत की सजा हुयी l मुक़दमे में, रे ने उन लोगों को माफ़ कर दिया, जिन्होंने उसके बारे में झूठ बोला था, यह कहते हुए कि इस अन्याय के बावजूद उन्हें ख़ुशी थी l उन्होंने कहा, “मेरी मृत्यु के बाद मैं स्वर्ग जा रहा हूँ l आप कहाँ जा रहे हैं?”
मृत्यु कतार में जीवन रे के लिए कठिन था l जब भी बिजली की कुर्सी का उपयोग दूसरों के लिए किया जाता था तो जेल की बत्तियां टिमटिमाती थी, जो आगे क्या होनेवाला है की भयानक याद दिलाती थी l रे ने एक झूठ पकड़ने वाले मशीने की जांच से भी गुज़रा परन्तु उसके परिणामों को नज़रंदाज़ कर दिया गया, कई अन्यायों में से एक जिसका उसने सामना किया जिसमें उसके मुकदमे की पुनः सुनवाई हो सकी l
आख़िरकार 2015 में गुड फ्राइडे के दिन, रे की सजा को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया l वह लगभग तीस वर्षों से मौत की कतार में था l उसका जीवन परमेश्वर की सच्चाई के प्रति एक साक्षी है l यीशु पर उसके विश्वास के कारण, रे को अपने मुकदमे से परे भरोसा था (1 पतरस 1:3-5) और अन्याय के सामने अलौकिक आनंद का अनुभव हुआ (पद.8) l यह ख़ुशी जो मेरे पास है,” रे ने अपनी रिहाई के बाद कहा, “वे जेल में भी कभी उसे छीन नहीं सके l” इस प्रकार के आनंद ने उसके विश्वास को वास्तविक साबित कर दिया (पद.7-8) l
मौत की कतार में आनंद? इसे गढ़ना कठिन है l यह हमें एक ऐसे परमेश्वर की ओर इशारा करता है, जो भले ही अनदेखा है और हमारे अपने कठिन अनुभव में थामने के लिए तैयार है l

आपके मांगने से पहले ही
मेरे मित्र रॉबर्ट और कॉलिन ने दशकों तक एक स्वस्थ विवाह का अनुभव किया है, और मुझे उन्हें बातचीत करते हुए देखना अच्छा लगता है l रात्री भोजन के समय मांगने से पहले ही उनमें से एक आगे बढ़कर दूसरे को मक्खन देगा l दूसरा बिलकुल ठीक समय पर गिलास को भर देगा l जब वे कहानी बताएँगे, वे एक दूसरे के वाक्यों को पूरा करते हैं l कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि वे एक दूसरे के मन को पढ़ सकते हैं l
यह तसल्लीदायक है कि परमेश्वर जानता है और किसी भी व्यक्ति की तुलना में जिसे हम जानते हैं और प्रेम करते हैं हमारी अधिक देखभाल करता है l जब नबी यशायाह आनेवाले राज्य में परमेश्वर और उसके लोगों के बीच संबंध का वर्णन करता है, तो वह एक कोमल, अन्तरंग रिश्ता का वर्णन करता है l परमेश्वर अपने लोगों के बारे में कहता है, “उनके पुकारने से पहले ही मैं उनको उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूँगा” (यशायाह 65:24) l
लेकिन यह कैसे सच हो सकता है? ऐसी चीजें हैं जिनके विषय बिना प्रत्युत्तर प्राप्त किये मैंने सालों तक प्रार्थना की है l मेरा मानना है कि जैसे-जैसे हम परमेश्वर के साथ अंतरंगता में बढ़ते हैं, अपने दिलों को उसके साथ जोड़ते हैं, हम उसके समय और देखभाल पर भरोसा करना सीख सकते हैं l हम वही इच्छा करना शुरू कर सकते हैं जो परमेश्वर चाहता है l जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हम अन्य चीजों में से उन चीजों को मांगते हैं जो परमेश्वर के राज्य का हिस्सा हैं जैसा कि यशायाह 65 में वर्णित है : दुःख का अंत (पद.19) l सभी लोगों के लिए सुरक्षित घर और भर पेट भोजन और सभी के लिए अर्थपूर्ण काम (पद.21-23) l स्वाभाविक संसार में शांति (पद.25) l जब परमेश्वर का राज्य अपने पूर्णता में आएगा, तब परमेश्वर पूर्ण रूप से इन प्रार्थनाओं का उत्तर देगा l

अद्भुत कौशल
हमारे कॉलेज गायन समूह के अगुआ ने समूह का निर्देशन किया और उसी समय पियानो पर हमारा साथ देते हुए, कुशलता से उन जिम्मेदारियों को संतुलित किया l एक संगीत कार्यक्रम के समापन पर, वह ख़ास तौर से थके हुए लग रहे थे, इसलिए मैंने उनसे पूछा कि क्या वह ठीक थे l उन्होंने जवाब दिया, “मुझे पहले कभी ऐसा नहीं करना पड़ा l” फिर उन्होंने समझाया l “पियानो धुन से इतना बाहर था कि मुझे पूरे संगीत समारोह में दो अलग-अलग स्वरतान में बजाना पड़ा – मेरा बांया हाथ एक सुर बजा रहा था और दूसरा मेरा दाहिना हाथ!” उसके द्वारा दिखाया गया कौशल चौंकानेवाला था, जिससे मैं अति उत्साहित हुआ, और मैं उस व्यक्तित्व से चकित हुआ जो इंसानों को इस तरह की चीजों के लिए सक्षम बनाता है l
राजा दाऊद ने आश्चर्य का एक और बड़ा भाव व्यक्त किया जब उसने लिखा, “मैं तेरा धन्यवाद करूँगा, इसलिए कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूँ . . . और मैं इसे भलीभांति जानता हूँ” (भजन 139:14) l चाहे लोगों की क्षमताओं में या प्रकृति के चमत्कारों में, सृजन के चमत्कार हमारे सृष्टिकर्ता की महिमा की ओर इशारा करते हैं l
एक दिन, जब हम परमेश्वर की उपस्थिति में होंगे, हर पीढ़ी के लोग इन शब्दों के साथ उसकी उपासना करेंगे, “हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं और सृजी गयीं” (प्रकाशितवाक्य 4:11) l परमेश्वर ने हमें जो अद्भुत कौशल दिया है और जो महान सुन्दरता परमेश्वर ने बनायी है वह उसकी उपासना करने का पर्याप्त कारण है l

बिल का भुगतान हो चुका है
“आपके साथ क्या हुआ?” लागोस में एक अस्पताल के बिस्तर पर झुककर नाइजीरियाई व्यापारी, पीटर ने पूछा l “किसी ने मुझे गोली मार दी,” युवक ने उत्तर दिया, उसकी जांघ पर पट्टी बंधी थी l यद्यपि वह घायल व्यक्ति घर जाने लायक था, उसे छुट्टी नहीं मिलती जब तक कि वह अपना बिल चुका नहीं देता – एक नीति जिसका अनुसरण इस क्षेत्र के कई सरकारी अस्पताल करते हैं l एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ परामर्श करने के बाद, पीटर ने उस धर्मार्थ निधि के द्वारा जिसे उसने पहले कभी अपने मसीही विश्वास को व्यक्त करे के तरीके के रूप में स्थापित किया था गुमनाम रूप से बिल भुगतान कर दिया l बदले में, वह आशा करता है कि मुक्त होने का उपहार पाने वाले एक दिन दूसरों को भी देंगे l
परमेश्वर की उदारता में से देने का प्रसंग पूरे बाइबल में धड़कता है l मिसाल के तौर पर, जब मूसा ने इस्राएलियों को कैसे प्रतिज्ञात देश में रहना है का निर्देश दिया, तो उसने उन्हें पहले परमेश्वर को वापस देने के लिए कहा (व्यवस्थाविवरण 26:1-3 देखें) और ज़रुरतमंदों की देखभाल करने के लिए – परदेशी, अनाथ, और विधवा (पद.12) l क्योंकि वे दूध और मधु की धाराओं के देश की भूमि” में रहते थे (पद.15), उन्हें ज़रुरतमंदों के लिए परमेश्वर के प्यार को व्यक्त करना था l
हम भी अपने भौतिक सामानों को साझा करके परमेश्वर के प्रेम को फैला सकते हैं, चाहे वह बड़ा हो या छोटा l हमारे पास व्यक्तिगत रूप से पीटर की तरह देने का अवसर नहीं हो सकता है, लेकिन हम परमेश्वर को यह दिखाने के लिए कह सकते हैं कि हमें कैसे देना है या किसे हमारी सहायता की आवश्यकता है l
