हर सिक्के के दो पहलु होते हैं l सामने वाले को “हेड” कहा जाता है और, आरंभिक रोमी काल से, आमतौर पर एक देश के प्रमुख को दर्शाया जाता है l पीछे की ओर को “टेल्स” कहा जाता है, एक शब्द जो संभवतः एक ब्रिटिश सिक्के से आता है जो एक शेर की उठाई हुयी पूंछ को दर्शाता है l
एक सिक्के की तरह, गतसमनी के बगीचे में मसीह की प्रार्थना के दो पक्ष हैं l अपने जीवन के सबसे कठिन घंटे में, क्रूस पर उसकी मृत्यु की पूर्व रात को, यीशु ने प्रार्थना की, “हे पिता, यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो” (लूका 22:42) l जब मसीह कहता है, “इस करोरे को . . . हटा ले,” तो यही प्रार्थना की सरल सच्चाई है l वह अपनी व्यक्तिगत इच्छा को प्रगट करता है, “यह वही है जो मैं चाहता हूँ l”
उसके बाद यीशु यह प्रार्थना करते हुए कि “मेरी नहीं” सिक्के को पलट देता है l यह पहलु ही त्याग का है l जब हम सरलता से कहते हैं, “परन्तु परमेश्वर आप क्या चाहते हैं?” तब परमेश्वर के प्रति हमारा त्याग आरम्भ हो जाता है l
यह दो तरफ़ा प्रार्थना मत्ती 26 और मरकुस 14 में भी शामिल है और यूहन्ना 18 में उल्लेख किया गया है l यीशु ने प्रार्थना के दोनों पक्षों से प्रार्थना की : यह कटोरा . . . टल जाए (परमेश्वर, जो मैं चाहता हूँ), तौभी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं (परमेश्वर, आप क्या चाहते हैं?), के मध्य केन्द्रीय बिंदु पर रहा l
यीशु के दो पक्ष l प्रार्थना के दो पक्ष l
यदि हम ईमानदारी से और पूरी तरह से त्याग के साथ प्रार्थना करते हैं, तो हम क्या सीख सकते हैं? अभी आप किस स्थिति का सामना कर रहे हैं जहाँ आप ईश्वर को नहीं त्यागने के साथ ईमानदारी से प्रार्थना कर सकते हैं?
हे पिता, मुझे अपने बेटे के उदाहरण का अनुसरण करने में मदद करें, जिसने सब कुछ खर्च किया ताकि मैं वास्विक जीवन जी सकूँ जिसमें आप के साथ अन्तरंग प्रार्थना का अनुभव करना शामिल है l