डेस्मंड को “सबसे बहादुर व्यक्तिजो जीवित है” संबोधित किया गया, लेकिन वह वो नहीं था जो दूसरे अपेक्षा करते थे l वह एक सैनिक था जिसने बन्दुक चलाने से माना कर दिया l एक डॉक्टर के रूप में, उसने एक ही लड़ाई में पचहत्तर घायल सैनिकों को हानि से बचाया, जिनमें से कुछ ने एक बार उन्हें कायर कहा और उनके विश्वास के लिए उनका उपहास किया l भरी गोलाबारी में भागते हुए, इस सैनिक ने लगातार प्रार्थना की, “परमेश्वर, कृपया मुझे एक और मदद करें l” उनकी वीरता के लिए उन्हें मैडल ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया गया l
शास्त्र हमें बताता है कि यीशु को बहुत गलत समझा गया था l जकर्याह नबी द्वारा नबूवत किया गया था (9:9), कि एक दिन, यीशु एक गधे पर सवार होकर यरूशलेम में प्रवेश किया और भीड़ ने “होशाना!” चिलाते हुए डालियों को लहराया (प्रशंसा का एक विस्म्योदगार जिसका अर्थ है “बचाओ!”) l भजन 118:26 का सन्दर्भ देते हुए, वे चिल्लाए : “धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है!” (यूहन्ना 12:13) l लेकिन उस भजन में दूसरा पद “यज्ञपशु को वेदी के सींगों से रस्सियों से बांधो” अर्थात् एक बलिदान लाने की बात करता है (भजन 118:27) l जबकि यूहन्ना 12 में भीड़ एक ऐसे सांसारिक राजा की उम्मीद लगायी थी जो उनको रोमी शासन से स्वतंत्र करेगा, लेकिन यीशु उससे कहीं अधिक था l वह राजाओं का राजा था और हमारा बलिदान – देह में परमेश्वर, स्वेच्छा से हमें हमारे पापों से बचाने के लिए क्रूस को गले लगाने वाला – एक उद्देश्य जिसकी नबूवत सदियों पूर्व की गयी थी l
यूहन्ना लिखता है, “उसके चेले ये बातें पहले न समझे थे l” केवल बाद में “उनको स्मरण आया कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुयी थीं” (यूहन्ना 12:16) l उसके वचन से आलोकित, परमेश्वर के शाश्वत उद्देश्य स्पष्ट हो गए l वह हमें एक शक्तिशाली उद्धारकर्ता भेजने के लिए पर्याप्त प्यार करता है!
यीशु ने आपको किस तरह बचाया है? आज आप उसके प्रति अपनी कृतज्ञता पूर्ण प्रशंसा कैसे व्यक्त कर सकते हैं?
जीवित उद्धारकर्ता, हमारे लिए क्रूस पर आपके बलिदान के लिए मैं आपकी प्रशंसा करता हूँ l हे अनंत राजा, सेवा करते हुए और स्तुति करते हुए जीवन जीने में मेरी सहायता कर l