एक युवा व्यक्ति के रूप में, डैनियल के पास पर्याप्त पैसा नहीं होने का डर था, इसलिए बीस साल के उम्र के आरंभिक काल में, वह महत्वकांक्षी रूप से अपना भविष्य बनाने लगा l एक प्रतिष्ठित कंप्यूटर कम्पनी में सफलता प्राप्त करते हुए, डैनियल ने बड़ी सम्पति हासिल की l उनके पास एक बहुत बड़ा बैंक खाता, एक आलिशान कार और करोड़ों रूपये का एक घर था जिसमें उनके पास वह सब कुछ था जो वह चाहता था; इसके बावजूद भी वह अत्यधिक दुखी था l “मैं चिंतित और असंतुष्ट महसूस करता हूँ,” डैनियल ने कहा l “असलियत में, धन जीवन को सचमुच बदतर बना सकता है l” नगदी के ढेर मित्रता, समुदाय, या आनंद प्रदान नहीं कर सकती है – और अक्सर यह उसके लिए केवल अधिक सिरदर्दी लेकर आयी l 

कुछ लोग अपने जीवन को सुरक्षित करने के प्रयास में धन को इकठ्ठा करने के लिए अत्यधिक ऊर्जा खर्च करते हैं l यह एक मुर्ख का खेल है l पवित्रशास्त्र बल देता है, “जो रूपये से प्रीति रखता है वह रुपये से तृप्त न होगा” (सभोपदेशक 5:10) l कुछ लोग अत्यधिक श्रम करते हैं l वे प्रयास करेंगे और धक्का देंगे, अपनी संपत्ति की तुलना दूसरों से करेंगे और कुछ आर्थिक दर्जा प्राप्त करने की कोशिश करेंगे l और इसके बावजूद भी यदि वे वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं, तो भी वे असंतुष्ट रहेंगे l यह पर्याप्त नहीं है l जैसे कि सभोपदेशक का लेखक कहता है, “यह भी व्यर्थ है” (पद.10) l 

सच्चाई यह है, परमेश्वर की इच्छा से अलग होकर परिपूर्णता प्राप्त करने का प्रयास करना निरर्थक साबित होगा l जबकि पवित्रशास्त्र हमें कड़ी महनत करने और दुनिया की भलाई के लिए अपने उपहारों का उपयोग करने के लिए कहता है, हम अपनी गहरी लालसाओं को पूरा करने के लिए कभी भी पर्याप्त रूप से जमा नहीं कर सकते l अकेले यीशु एक वास्तविक और संतोषजनक जीवन प्रदान करता है (यूहन्ना 10:10) – ऐसा जीवन जो प्यार भरे रिश्ते पर आधारित है जो वास्तव में पर्याप्त है!